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पाकिस्तान पर सख्ती के निर्णयों पर गोरखपुर की प्रतिक्रिया: जनमानस और विशेषज्ञों की राय

हरेन्द्र दुबे

गोरखपुर,24 अप्रैल 2025:

जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए भीषण आतंकी हमले के बाद भारत सरकार ने पाकिस्तान के खिलाफ कड़े कदम उठाते हुए अपने राजनयिक संबंधों में कटौती, इंडस जल संधि का निलंबन, अटारी सीमा बंद करना, पाक नागरिकों को देश छोड़ने का आदेश, और पाकिस्तान के सोशल मीडिया अकाउंट्स पर प्रतिबंध जैसे अहम निर्णय लिए हैं। इन फैसलों को लेकर गोरखपुर के नागरिकों और बुद्धिजीवियों में गंभीर मंथन देखा गया। आइए जानते हैं क्या सोचता है गोरखपुर का जनमानस।

जनता का मिला समर्थन, लेकिन उठे सवाल भी

कई नागरिकों ने सरकार के निर्णयों को देश की सुरक्षा के लिए आवश्यक बताया। खासतौर पर इंडस जल संधि के निलंबन को रणनीतिक रूप से प्रभावी कदम माना गया। वहीं, कुछ लोगों ने इसे प्रतीकात्मक कार्रवाई मानते हुए और कठोर उपायों की आवश्यकता पर बल दिया।

विशेषज्ञों की राय

ए. पी. जे. अब्दुल कलाम टेक्निकल यूनिवर्सिटी, लखनऊ के पूर्व कुलपति,प्रो. आर. के. खंडाल ने कहा, “ये एक कमजोर निर्णय है। सरकार को सबसे पहले मदरसों पर रोक लगानी चाहिए, क्योंकि आतंकवाद वहीं से पनपता है।”

प्रो. मनोज मिश्रा ने कहा, “ भारत का प्रमुख निर्णय सिन्धु जल संधि तत्काल रूप से रोकने का निर्णय महत्वपूर्ण है जो आगे बड़ा मुद्दा बनेगा परन्तु भौगोलिक रूप में हमारे पास वो व्यवस्था नहीं है की हम रिजर्वायर बनाकर उतना पानी रोक पायें” उन्होंने कहा “ सर्जिकल स्ट्राइक छोटा कदम था अब उससे भी बड़ा कदम उठाने का समय आ गया है”

प्रो. रुचिर कुमार का मानना है कि, “जो लोग निर्णय ले रहे हैं, उनके पास व्यापक जानकारी है। हमें सरकार के निर्णय का सम्मान करना चाहिए।”

डॉ. पवन कुमार मिश्र, डायरेक्टर सीआईडीसी कहते हैं “एक आम नागरिक के रूप में हम भी चाहते हैं की कठोर निर्णय लिए जाएँ लेकिन सरकार ने जो निर्णय लिया है वो नीतिगत होंगे और उसके दूरगामी परिणाम होंगे सबको इसका सम्मान करना चाहिए”

प्रो. एन. के. सिंह ने भी कहा, “ऐसे मामलों में अधिकृत व्यक्ति जो भी निर्णय लेते हैं, वे राष्ट्रहित में होते हैं और हमें उन पर विश्वास और सम्मान बनाए रखना चाहिए।”

निष्कर्ष:

गोरखपुर के नागरिकों और प्रबुद्ध वर्ग ने सरकार के फैसलों को मिली-जुली प्रतिक्रिया दी है, लेकिन एक बात स्पष्ट है—देश की सुरक्षा और सम्मान के लिए कठोर से कठोर कदम उठाने को लेकर आमजन और विशेषज्ञ एकमत हैं।

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