
नई दिल्ली,14 मई 2025
भारत का एयर डिफेंस सिस्टम अब चार लेयर में विभाजित है, जिसने देश की सीमाओं को हवाई खतरों से सुरक्षित रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। ऑपरेशन सिंदूर के तहत भारत ने अपनी अत्याधुनिक मल्टी-लेयर्ड काउंटर ड्रोन और एयर डिफेंस ग्रिड का सफल परीक्षण किया। इस परीक्षण में दुश्मन के ड्रोन, मिसाइल और एयरक्राफ्ट को न केवल ट्रैक किया गया बल्कि समय रहते नष्ट भी कर दिया गया।
चार लेयर वाले इस एयर डिफेंस सिस्टम में पहली लेयर काउंटर ड्रोन और MANPADS (IGLA, LLAD) को सीमावर्ती इलाकों में 200 किलोमीटर के भीतर तैनात किया गया है, जो छोटे और कम ऊंचाई पर उड़ने वाले लक्ष्यों को तुरंत निशाना बना सकते हैं। दूसरी लेयर में प्वाइंट एयर डिफेंस और SR-SAM (स्पायडर और SAMAR प्रणाली) शामिल हैं, जो कम दूरी पर तेजी से आने वाले हवाई खतरों को नष्ट करने में सक्षम हैं।
तीसरी लेयर में MRSAM (Barak-8) का उपयोग होता है, जो मध्यम दूरी की मिसाइल हमलों और एयरक्राफ्ट को रोकने के लिए तैयार किया गया है। इसे इजरायल के सहयोग से विकसित किया गया है। चौथी और अंतिम लेयर में LRSAM (S-400 ट्रायम्फ सिस्टम) शामिल है, जो रूस से खरीदा गया है। यह 400 किमी की दूरी से किसी भी हवाई खतरे को ट्रैक और नष्ट करने की ताकत रखता है।
पूरे ग्रिड को ‘आकाशतीर’ कमांड सिस्टम और IACCS (Integrated Air Command and Control System) से जोड़ा गया है। यह सिस्टम रडार और मिसाइल यूनिटों के बीच तेज डेटा ट्रांसफर और तालमेल सुनिश्चित करता है, जिससे युद्ध के दौरान हवाई गतिविधियों की जानकारी तुरंत मिलती है। भारतीय वायु सेना, थल सेना और नौसेना इस डेटा के आधार पर एकीकृत कार्रवाई करती हैं।
ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारत की रडार प्रणाली – LLR, MPR और HPR – ने पाकिस्तान के ADGS (Air Defence Ground System) द्वारा संचालित गतिविधियों पर लगातार नजर रखी। भारतीय प्रतिक्रिया ‘D-I-A-D’ सिद्धांत पर आधारित रही: Detect (पता लगाना), Identify (पहचान करना), Allocate (जवाबी हथियार सक्रिय करना) और Destroy (नष्ट करना)।
इस ऑपरेशन ने वैश्विक स्तर पर भारत की वायु रक्षा क्षमता का प्रदर्शन किया है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह मल्टी लेयर एयर डिफेंस सिस्टम आने वाले समय में भारत की सैन्य रणनीति की रीढ़ साबित होगा।