
अंशुल मौर्य
वाराणसी,6 जून 2025:
गोरखपुर की 22 वर्षीय हेमा चौहान महज 10 साल की थीं जब एक दर्दनाक हादसे में उन्होंने अपने दोनों हाथ खो दिए। छत पर खेलते समय वह 12 हजार वोल्ट के करंट की चपेट में आ गईं, जिससे एक हाथ काटना पड़ा और दूसरा ठीक से काम नहीं कर पाया। यह हादसा उनके लिए जीवन का सबसे बड़ा मोड़ था।
मुंह से पेंटिंग की शुरुआत
हाथों के बिना जीने की कल्पना भी कठिन है, लेकिन हेमा ने इसे अपनी ताकत बना लिया। घर में अकेले बैठते-बैठते उन्होंने यूट्यूब से प्रेरणा लेकर मुंह से पेंटिंग बनाना शुरू किया। शुरुआत में मुश्किलें आईं, लेकिन दो साल की कड़ी मेहनत और अभ्यास से उन्होंने मुंह से शानदार पेंटिंग बनाना सीख लिया।
काशी में भगवान शिव की पेंटिंग से जीता दिल
गंगा दशहरा के शुभ अवसर पर हेमा ने वाराणसी में गंगा आरती के दौरान बड़े कैनवास पर भगवान शिव की लाइव पेंटिंग बनाई। सैकड़ों श्रद्धालुओं की आंखें उस नजारे को देखकर भर आईं। हेमा ने कहा, “मैं बिगिनर से बिगेस्ट आर्टिस्ट बनकर दुनिया में नाम कमाना चाहती हूं।”
परिवार बना प्रेरणा और सहारा
हेमा के पिता गोरखपुर में एक पंखा वेंडिंग की दुकान चलाते हैं। मां गृहिणी हैं। तीन भाई-बहनों के इस परिवार में हेमा के माता-पिता ने कभी उन्हें अकेला महसूस नहीं होने दिया। उनके पिता ने हर मुश्किल में उनका साथ दिया और कहा, “हार मत मानना, सब ठीक होगा।”
जुनून जिसने हरा दी हर बाधा
हेमा आज न सिर्फ एक कलाकार हैं, बल्कि करोड़ों लोगों के लिए प्रेरणा बन चुकी हैं। उनका सपना है दुनिया भर में अपनी कला के ज़रिए पहचान बनाना। उनकी जिद, मेहनत और जुनून उन्हें जरूर उनके मुकाम तक पहुंचाएंगे।






