
नई दिल्ली, 9 जुलाई 2025
अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा प्रस्तावित ‘गोल्ड कार्ड इमिग्रेशन प्रोग्राम’ ने अमीर भारतीयों के बीच भारी दिलचस्पी पैदा कर दी है। यह प्रस्तावित योजना अब तक आधिकारिक रूप से शुरू नहीं हुई है, लेकिन हाई नेट-वर्थ इंडिविजुअल्स (HNIs) पहले ही जानकारी जुटाने में सक्रिय हो गए हैं।
इमिग्रेशन एक्सपर्ट्स के मुताबिक, अमेरिका में रह रहे भारतीय टेक्नोलॉजी, फाइनेंस और हेल्थकेयर सेक्टर के प्रोफेशनल्स, खासकर 28 से 45 साल की उम्र के बीच के लोग इस वीजा विकल्प को लेकर काफी उत्साहित हैं। इस योजना के तहत 5 मिलियन डॉलर यानी करीब ₹40 करोड़ के निवेश पर अमेरिका में स्थायी निवास का विकल्प प्रस्तावित किया गया है।
दावीज़ एंड एसोसिएट्स की कंट्री हेड सुकन्या रमन के अनुसार, इस योजना को लेकर 50% से ज्यादा पूछताछ मिडल ईस्ट और अन्य अमीर देशों में बसे भारतीय प्रवासियों की ओर से हो रही है।
हालांकि इस स्कीम का अभी कोई कानूनी ढांचा मौजूद नहीं है। केवल एक ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन फॉर्म वेबसाइट पर उपलब्ध है, जहां लोग नाम और बेसिक जानकारी भर सकते हैं ताकि योजना की शुरुआत होते ही सूचना मिल सके।
इमिग्रेशन विशेषज्ञों के मुताबिक, मौजूदा EB5 वीजा प्रोग्राम के साथ इस प्रस्ताव की तुलना की जा रही है। EB5 में निवेश की राशि कम है, और इसके नियम पहले से स्थापित हैं। ग्लोबल नॉर्थ रेसिडेंसी एंड सिटिजनशिप के फाउंडर रजनीश पाठक के अनुसार, जब तक ट्रंप की गोल्डन वीजा योजना टैक्स छूट और कानूनी स्पष्टता के साथ सामने नहीं आती, तब तक EB5 ही व्यवहारिक विकल्प बना रहेगा।
हालांकि चर्चाएं हैं कि गोल्ड कार्ड की शुरुआत के बाद EB5 बंद हो सकता है, जिससे कई निवेशक तेजी से मौजूदा वीजा प्रोग्राम्स की ओर झुक रहे हैं।
फिलहाल ट्रंप की यह योजना भले ही एक राजनीतिक वादा या मार्केटिंग रणनीति के रूप में देखी जा रही हो, लेकिन इससे अमेरिका में बसने की चाह रखने वाले अमीर भारतीयों में एक नई उम्मीद जरूर जगी है।