लखनऊ, 18 जुलाई 2025:
यूपी की राजधानी स्थित केजीएमयू की डॉ. सौम्या को डिजिटल अरेस्ट करने की घटना सजा के अंजाम तक पहुंच गई। इस जुर्म की सजा में कई रिकार्ड बने। 5 दिन में आरोपी आजमगढ़ का देवाशीष पकड़ा गया। तीन महीने में चार्जशीट दाखिल हुई और कोर्ट ने पहली दफा इस अपराध में 14 माह के भीतर आरोपी को 7 साल की सजा सुनाई और एक बार भी जमानत नहीं दी। यही नहीं 68 हजार का जुर्माना भी ठोंका गया है।
दरअसल कहानी शुरू हुई मई 2024 से जब, गोमतीनगर विस्तार सुलभ आवास निवासी देवाशीष राय ने महानगर की इंद्रप्रस्थ कालोनी में रहने वालीं केजीएमयू की चिकित्सक सौम्या गुप्ता को फोन किया। देवाशीष ने खुद को कस्टम अधिकारी बताया और कहा कि उनके नाम से एक कार्गो बुक किया गया है, जिसमें जाली पासपोर्ट, एटीएम कार्ड और 140 ग्राम एमडीएम (नशे की दवा) मिली है, जो क्राइम है इसके बाद देवाशीष ने डॉ. सौम्या को 10 दिनों के लिए डिजिटल अरेस्ट कर 85 लाख रुपये ऐंठ लिए।
इसकी एफआईआर मई 2024 में साइबर क्राइम थाने में धोखाधड़ी व आईटी एक्ट के तहत दर्ज की गई। इंस्पेक्टर बृजेश यादव ने पहचान छिपाकर रह रहे देवाशीष को पांच दिन के अंदर गोमतीनगर विस्तार के मंदाकिनी अपार्टमेंट से गिरफ्तार कर लिया। तीन महीने में जांच पूरी कर कोर्ट में चार्जशीट दाखिल कर दी। पैरवी में इस तरह पेशबंदी हुई कि देवाशीष को एक बार भी जमानत नसीब नहीं हुई। अब 14 माह में कोर्ट ने पहली दफा डिजिटल अरेस्ट जैसे मामले में फैसला दे दिया है। इसके तहत विशेष न्यायालय कस्टम के सीजीएम अमित यादव ने दोषी देवाशीष को 7 साल की सजा और 68 हजार का अर्थदंड भुगतने की सजा सुनाई है।