Uttar Pradesh

नीलकंठ महादेव मंदिर की जमीन पर था कब्जा… पैमाइश-खुदाई के समय दिखे नागराज, फिर ये हुआ

हरेन्द्र दुबे

गोरखपुर, 10 अगस्त 2025 :

यूपी के गोरखपुर स्थित सरैया तिवारी नीलकंठ महादेव मंदिर वैसे तो लाखों शिवभक्तों की आस्था का केंद्र है लेकिन समय स्थान व किसी विशेष की उपस्थिति ने इसे अद्भुत दृश्य से जोड़ दिया। हुआ यूं कि मंदिर की जमीन पर कब्जे की शिकायत पर राजस्व की टीम सावन के आखिरी दिन पैमाइश कर खोदाई करवा रही थी तभी नागराज सामने आ गए। आसपास की भीड़ व मशीन के शोर में भी फन उठाये निर्भय होकर उन्होंने चारों तरफ देखा और कुछ देर बाद चले गए। उनकी इस मुद्रा को देखकर लोगों ने कहा कि मानों नागराज खुद कह रहे हों कि ‘हां ये जमीन मंदिर की है’। ये नजारा कैमरे में कैद होकर वायरल हो गया और श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी।

गजनवी ने शिवलिंग पर खुदवाया था कलमा फिर भी होती रही पूजा अर्चना

गोरखपुर मुख्यालय से 21 किलोमीटर दूरी पर स्थित सरैया तिवारी के प्राचीन नीलकंठ महादेव मंदिर है।
इस मंदिर से जुड़ी मान्यता है कि नीलकंठ शिवलिंग का स्वयं प्रादुर्भाव हुआ था, इसलिए यहां कभी छत का निर्माण नहीं हुआ। मुगल काल में मोहम्मद गजनवी ने इसे कीमती पत्थर समझकर दो बार आक्रमण किया, लेकिन असफल रहा। बाद में शिवलिंग पर उर्दू में कलमा अंकित करवा दिया ताकि पूजा अर्चना न हो लेकिन ऐसा नहीं हुआ ये आस्था का केंद्र बना और शिवभक्त अपने आराध्य की पूजा अर्चना करने लगे। बताया ये भी जाता है कि सन 1957 में बाउंड्री वॉल निर्माण के लिए खुदाई के दौरान यहां मानव कंकाल भी मिले, जिसके बाद खुदाई रोक दी गई थी।

मंदिर की जमीन पर कब्जे की शिकायत पर राजस्व टीम सावन के आखिरी दिन हटा रही थी कब्जा

अब ताजा प्रकरण से नीलकंठ महादेव मंदिर एक बार फिर सुर्खियों में आ गया। दरअसल मंदिर की 90 डिसमिल जमीन पर कुछ लोगों का कब्जा था। मामला प्रशासन तक पहुंचा और संपूर्ण समाधान दिवस पर निपटारे के आदेश हुए। इसके बाद यहां कानूनगो देवनारायण मिश्रा, लेखपाल राजू रंजन शर्मा के नेतृत्व में राजस्व टीम जमीन की पैमाइश करने पहुंची। चूना डालकर सीमा चिन्हित की गई, और जेसीबी से खुदाई शुरू हो ही रही थी कि कुछ लोगों ने विरोध तेज कर दिया।

मलबे वाली जगह अचानक दिखे नागराज, निर्भय होकर चारों ओर देखा फिर हो गए ओझल

इस विरोध और कार्रवाई के बीच प्रत्यक्षदर्शियों के अचानक मंदिर के पास नागराज फन फैलाकर प्रकट हुए। वे चूना डाले गए निशानों तक धीरे-धीरे पहुंचे, मानो अपने अंदाज में बता रहे हों—”यही है महादेव की धरती।” नागराज ने पूरा क्षेत्र नापा एक जगह रुके और चारों ओर देखा। इस दौरान वो भीड़ और शोर से निर्भय होकर फन उठाये दिखे। फिर उसी गरिमा से वापस लौटे और अचानक दृष्टि से ओझल हो गए।

विरोध कर रहे लोग सन्न रह गए, हट गया कब्जा पूरे गांव में फैली श्रद्धा की लहर, भावुक हुए बुजुर्ग

यह नजारा देखते ही विरोध कर रहे लोग सन्न रह गए। किसी ने कुछ नहीं कहा, सबने चुपचाप पीछे हटकर मंदिर के निर्माण कार्य को हरी झंडी दे दी। मानो नागराज ने स्वयं मुहर लगा दी हो कि यह भूमि महादेव की है। ग्राम प्रधान प्रतिनिधि धरणीधर राम त्रिपाठी, बृजेश त्रिपाठी, गजेंद्र त्रिपाठी, शिवाकांत त्रिपाठी, लालमोहन गौड़, संतोष शर्मा, विजय यादव, सुदामा यादव, अमरेश राम त्रिपाठी सहित कई ग्रामीण इस घटना के साक्षी बने। गांव के बुजुर्ग भक्ति भाव से भरकर भावुक होकर बोले “ऐसा दृश्य जीवन में पहली बार देखा। नागराज ने साबित कर दिया कि यह भूमि महादेव की है।” घटना के बाद मंदिर में श्रद्धालुओं का तांता लग गया है। लोग इसे चमत्कार और नागराज का आशीर्वाद बता रहे हैं। आसपास के गांवों में इसकी चर्चा हर घर में हो रही है।

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