काशी विश्वनाथ ट्रस्ट ने प्रसाद निर्माण की पूरी प्रक्रिया के लिए बनास डेयरी (अमूल) वाराणसी से किया समझौता
वाराणसी,13 अक्टूबर 2024
श्री काशी विश्वनाथ मंदिर सनातन धर्म का अत्यंत पवित्र प्रतिष्ठित आध्यात्मिक स्थल है। श्री काशी विश्वनाथ मंदिर न्यास ने श्रद्धालुओं के लिए आस्था, गुणवत्ता तथा शुचिता के साथ पहली बार मंदिर का अपना प्रसाद तैयार कराया है।
श्री काशी विश्वनाथ मंदिर न्यास ने अपनी बैठकों में निर्णय लिया था कि मंदिर का स्वयं का निर्मित प्रसाद होना चाहिए। जो उन सामग्रियों से बना होना चाहिए जो भगवान शिव को शास्त्रों में उल्लेखित वर्णन के अनुसार प्रिय हैं और उनको अर्पित किए जाते हैं। इसी का अनुरोध समूचे देश के श्रद्धालु भी काफी समय से कर रहे थे।
इसी क्रम में कुछ महीनो से काशी और देश के कई जाने-माने विद्वानों ने अलग-अलग शास्त्रों, पुराणों व ग्रंथों का अध्ययन किया और उसमें भगवान शिव की प्रिय वस्तुएं चिन्हित की जो प्रसाद के रूप में बनवाई जाएंगी। जिन ग्रंथो और पुराणों का अध्ययन किया गया। उनमें शिव महापुराण, शिवर्चना चंद्रिका, वीर मित्रोदय:, लिंग पुराण, स्कन्द पुराण आदि सम्मिलित हैं। इन ग्रंथो में तंडुल, अक्षत या चावल का प्रसाद शिव जी को अर्पित करना सर्वोत्तम बताया गया है। इसके आधार पर जो प्रसाद तैयार किया गया है उसे तंदूल महाप्रसाद का नाम दिया गया है।
विजयादशमी के शुभ अवसर पर इस विशिष्ट प्रसाद को श्री काशी विश्वनाथ की भोग आरती में अर्पित करते हुए श्रद्धालुओं के लिए उपलब्ध करा दिया गया। न्यास ने सभी गुणवत्ता मानकों का अनुपालन सुनिश्चित करते हुए सनातन, शास्त्रीय एवं परंपरागत मान्यताओं का समावेश कर यह विशिष्ट प्रसाद तैयार कराया है।
इसमें देशी घी का प्रयोग किया जाएगा। इसमें विशेष रूप से उन बेल पत्रों का उपयोग किया जाएगा जो भगवान विश्वेश्वर को अर्पित किए गए होंगे और मंदिर की आध्यात्मिक ऊर्जा से समृद्ध होंगे। बेल पत्र सनातन परंपरा में पवित्र माने जाते हैं और भगवान शिव की पूजा में उनका विशेष महत्व है।
इसके प्रत्येक लड्डू में श्री काशी विश्वनाथ को अर्पित बिल्व पत्र का अंश होगा। इसलिए प्रत्येक लड्डू श्री काशी विश्वनाथ को अर्पित होने के समतुल्य हो जाता है जो इसकी प्रमुख विशेषता है। बिल्व पत्र प्रसाद के साथ साथ औषधीय रूप में भी प्रसाद ग्रहण करने वालों को लाभ पहुंचाएगा। श्री काशी विश्वनाथ ट्रस्ट ने प्रसाद निर्माण की पूरी प्रक्रिया के लिए बनास डेयरी (अमूल) वाराणसी से समझौता किया गया है। जिसमें मंदिर ट्रस्ट की उपलब्ध करवाई गई रेसिपी का प्रसाद बनास डेयरी वाराणसी अपनी पिंडरा वाराणसी स्थित फैक्ट्री में बनवायेगा। बनास डेयरी वाराणसी में पूर्व से ही मिठाई बनाने की यूनिट व मशीन मौजूद हैं। जिसमें लाल पेडा, लौंग लता, रसगुल्ला आदि मिठाई निर्मित की जाती हैं। इसी प्रकार की एक मशीन लाइन तंदूल महा प्रसाद के लिए भी संरक्षित कर दी गई है। बनास डेयरी वाराणसी के प्रसाद के लिए सभी सर्टिफिकेशन और एफएसएसएआई के मानकों के अनुसार सर्टिफिकेशन करवा लिए गया है तथा इसके सभी टेस्टिंग के मानक पूर्ण करने के उपरांत प्रसाद का निर्माण प्रारंभ किया गया है।
प्रसाद निर्माण में जो देशी घी प्रयुक्त होगा। वह भी उत्तर प्रदेश के दुग्ध उत्पादकों के दिए गए दूध से ही निर्मित होगा। प्रसाद निर्माण की पूरी प्रक्रिया फ़ूड सेफ्टी के उच्चतम मानदंडों के अनुपालन के साथ साथ शास्त्रीय परिवेश में संपन्न की जाय यह भी सुनिश्चित किया जाएगा। इस आशय से न्यास ने फैक्ट्री की 24×7 सीसीटीवी सर्विलांस की फीड, कार्मिकों के सनातनी परंपरा की पृष्ठभूमि, सनातन धर्म मे श्रद्धा, शिवजी के दर्शन के पश्चात् ही प्रसाद निर्माण की प्रक्रिया में प्रतिभाग किया जाय इत्यादि का ट्रस्ट व बनास डेयरी के समझौते के नियमों में समावेश किया गया है।
इस प्रक्रिया के पालन के लिए उच्चतम हाइजीन के मानकों की मॉनिटरिंग की जाएगी। इसकी निर्माण सामग्री, पोषण, कैलोरी तथा शेल्फ लाइफ आदि जानकारी बाहरी डिब्बे पर दी जाएगी। प्रसिद्ध सहकारी क्षेत्र के उपक्रम बनास डेयरी की विनिर्माण फैसिलिटी में उत्पादित यह प्रसाद किसानों के सहकारी क्षेत्र के ही मार्केटिंग फेडरेशन अमूल के नेटवर्क के माध्यम से वितरित किया जाएगा। ताकि उसकी नकल या मिलावट ना की जा सके। प्रथमतः इसका विक्रय केवल श्री काशी विश्वनाथ मंदिर परिसर में स्थित अमूल के विशेष काउंटरों के माध्यम से ही होगा। कुछ माह के उपरांत इसे वाराणसी के अन्य अमूल आउटलेट पर भी विक्रय के लिए उपलब्ध करवाया जाएगा।