अंशुल मौर्य
वाराणसी, 2 दिसम्बर 2024
उत्तर प्रदेश में पीपीपी (पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप) मॉडल पर बिजली कंपनियों के निजीकरण के खिलाफ चल रहे आंदोलन में अब सख्ती बढ़ने लगी है। वाराणसी के विद्युत उपकेंद्र मैदागिन पर तैनात एक कर्मचारी को कंपनी के प्रोजेक्ट मैनेजर द्वारा सेवा समाप्ति का आदेश जारी किया गया है। यह आदेश इस आधार पर दिया गया है कि धरना-प्रदर्शन के वायरल वीडियो में कर्मचारी की उपस्थिति पाई गई, जो कंपनी के निर्देशों के खिलाफ है। इसके अलावा, कर्मचारी के धरना-प्रदर्शन में शामिल होने से विभाग की विद्युत व्यवस्था प्रभावित हुई और कंपनी की छवि को भी नुकसान पहुंचा।
वहीं, बिजली कर्मचारियों ने निजीकरण के खिलाफ अपनी आवाज बुलंद करते हुए विरोध-प्रदर्शन जारी रखने की योजना बनाई है। 6 दिसंबर को पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड के एमडी कार्यालय पर विरोध प्रदर्शन के दौरान ‘बिजली पंचायत’ लगाने का ऐलान किया गया है।
इस पंचायत में आम उपभोक्ताओं और कर्मचारियों को बिजली क्षेत्र में निजीकरण के दुष्प्रभावों के बारे में जागरूक किया जाएगा। यह निर्णय विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति की बैठक में लिया गया।
राज्य विद्युत परिषद जूनियर इंजीनियर्स संगठन की वाराणसी शाखा ने भी ऊर्जा क्षेत्र में निजीकरण का विरोध किया है। संगठन के जनपद सचिव प्रमोद कुमार ने कहा कि निजीकरण के बजाय सुधार कार्यक्रम लागू किए जाने चाहिए।
उन्होंने केस्को का उदाहरण देते हुए कहा कि यह एक जीता-जागता उदाहरण है कि किस प्रकार निजीकरण के बाद केस्को को कई समस्याओं का सामना करना पड़ा है। बिजली आपूर्ति में विफलता, गर्मियों में लगातार बिजली संकट और कर्मचारियों की नौकरी सुरक्षा में कमी इसके प्रमुख उदाहरण हैं। प्रमोद कुमार का कहना है कि इन समस्याओं से यह साबित होता है कि निजीकरण के बजाय सुधारात्मक कदम उठाए जाने चाहिए।
बिजली कर्मचारियों का कहना है कि वे निजीकरण के खिलाफ अपनी लड़ाई जारी रखेंगे और इसके खिलाफ जन जागरूकता अभियान को तेज करेंगे।