Uttar Pradesh

आगरा नगर निगम: टाइपिंग परीक्षा में फेल बाबू, फिर भी कर रहे उच्च पद पर काम

आगरा,3 अप्रैल 2025

साल 2021 में नगर निगम में चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों को बाबू के पद पर प्रोन्नत करने के लिए टाइपिंग परीक्षाएं आयोजित की गई थीं, जिनमें 27 कर्मचारी असफल हो गए। उन्हें पुनः उनके चतुर्थ श्रेणी पदों पर भेज दिया गया। इसके बाद दोबारा परीक्षा में बैठने का मौका मिला, लेकिन इस बार भी वे पास नहीं हो सके। लगातार असफलता के बाद 8 कर्मचारियों को पुनः चतुर्थ श्रेणी पर रिवर्ट कर दिया गया, जबकि एक कर्मचारी यश कुमार ने नौकरी ज्वाइन नहीं की, जिसके चलते निगम ने उसकी सेवाएं समाप्त कर दीं।

वर्तमान में, टाइपिंग परीक्षा में फेल हुए 19 कर्मचारी अभी भी बाबू के पद पर कार्यरत हैं, जबकि अभिलेखों में उनकी पोस्टिंग चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी के रूप में दर्ज है। इस संबंध में नगरायुक्त अंकित खंडेलवाल ने बताया कि उनके कार्यकाल में 8 कर्मचारियों को रिवर्ट कर दिया गया था और उन्हें उनके मूल पद के अनुसार ही वेतन दिया जा रहा है। उन्होंने कहा कि 2021 के मामले की जांच करवाई जाएगी। नगर निगम में नियम के अनुसार उच्च पद पर कार्यरत कर्मचारियों से लिखित रूप में सहमति ली जाती है कि उन्हें मूल तैनाती का ही वेतन मिलेगा।

नगर निगम में कार्यरत कई बाबुओं की योग्यता पर भी सवाल उठ रहे हैं। प्रोन्नति परीक्षाओं के दौरान एक बाबू ‘सहानुभूति’ जैसा साधारण शब्द भी सही से नहीं लिख सका। ऐसे में सवाल उठता है कि ये कर्मचारी शासनादेश और कंपलेंट केस की फाइलों को कैसे पढ़ते और समझते होंगे। इसके अलावा, विभागों में तैनात कर्मचारी अपने पदनाम के साथ नाम का बोर्ड भी नहीं लगाते, जिससे नगर निगम में लापरवाही का स्पष्ट अंदाजा लगाया जा सकता है।

टाइपिंग परीक्षाओं में फेल हुए कई कर्मचारियों ने सांसद, मेयर और मंत्रियों से सिफारिशें करवाई हैं। वे अहर्ता में असफल रहने के बावजूद बाबू के पद पर आसीन हैं और वेतन भी उसी हिसाब से ले रहे हैं। नियमों के विपरीत काम कर रहे ऐसे कर्मचारियों से सरकारी कार्यों की गुणवत्ता पर सवाल खड़े होते हैं। यही नहीं, 2007-08 में अनियमित भर्तियों के चलते 25 कर्मचारियों की नौकरियां समाप्त कर दी गई थीं, लेकिन वे आज भी नगर निगम के दफ्तरों में बैठकर रुआब गांठते नजर आते हैं।

बाबू के पद पर प्रोन्नति के लिए हिंदी और अंग्रेजी टाइपिंग परीक्षा उत्तीर्ण करना अनिवार्य है, जिसमें हिंदी में 25 और अंग्रेजी में 30 शब्द प्रति मिनट टाइप करने की क्षमता होनी चाहिए। मगर नगर निगम में कई ऐसे कर्मचारी हैं, जो बिना टाइपिंग परीक्षा दिए ही बाबू के पद पर बने हुए हैं। कई कर्मचारियों ने अधिकारियों से सांठगांठ कर टाइपिंग परीक्षा देने से बचने का तरीका निकाल लिया है, जिससे नगर निगम में अनियमितताओं और लापरवाहियों का सिलसिला जारी है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button