बिजनेस डेस्क, 29 दिसंबर 2025:
प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) ने कोयला मंत्रालय को निर्देश दिया है कि सरकारी कंपनी कोल इंडिया लिमिटेड की सभी सहायक कंपनियों को साल 2030 तक शेयर बाजार में सूचीबद्ध किया जाए। इसका उद्देश्य कंपनी के कामकाज में पारदर्शिता लाना और उसकी संपत्तियों से बेहतर मूल्य हासिल करना है। कोल इंडिया देश के कुल कोयला उत्पादन का 80 प्रतिशत से अधिक हिस्सा करती है।
किन सहायक कंपनियों को बाजार में लाने की है योजना?
कोल इंडिया की कुल आठ सहायक कंपनियां हैं, जिनमें ईस्टर्न कोलफील्ड्स, भारत कोकिंग कोल लिमिटेड, सेंट्रल कोलफील्ड्स, वेस्टर्न कोलफील्ड्स, साउथ ईस्टर्न कोलफील्ड्स, नॉर्दर्न कोलफील्ड्स, महानदी कोलफील्ड्स और सेंट्रल माइन प्लानिंग एंड डिजाइन इंस्टीट्यूट शामिल हैं। सभी इकाइयों को चरणबद्ध तरीके से शेयर बाजार में लाया जाएगा।
अगले साल तक दो कंपनियों की हो सकती है एंट्री
जानकारी के अनुसार भारत कोकिंग कोल लिमिटेड और सेंट्रल माइन प्लानिंग एंड डिजाइन इंस्टीट्यूट को मार्च 2026 तक सूचीबद्ध किया जाएगा। इन दोनों कंपनियों की लिस्टिंग की तैयारियां पूरी कर ली गई हैं। बीसीसीएल के लिए देश और विदेश में रोड शो भी किए जा चुके हैं।
सेबी में ड्राफ्ट दाखिल और क्या है मौजूदा स्थिति?
बीसीसीएल और सीएमपीडीआई ने अपने आईपीओ के लिए सेबी के पास ड्राफ्ट दस्तावेज दाखिल कर दिए हैं। यह आईपीओ ऑफर फॉर सेल के जरिये आएगा, जिसमें कोल इंडिया अपनी हिस्सेदारी बेचेगी। कोल इंडिया ने चालू वित्त वर्ष में 875 मिलियन टन कोयला उत्पादन का लक्ष्य रखा है। कंपनी का शेयर फिलहाल बीएसई पर करीब 401.85 रुपये पर कारोबार कर रहा है और इसका बाजार पूंजीकरण 2.47 लाख करोड़ रुपये से अधिक है।
आईपीओ से लेकर कैसा रहा कोल इंडिया का अब तक का सफर?
कोल इंडिया लिमिटेड ने नवंबर 2010 में शेयर बाजार में कदम रखा था। उस समय कंपनी ने करीब 15,199.44 करोड़ रुपये का आईपीओ पेश किया था, जिसे निवेशकों से शानदार प्रतिक्रिया मिली थी। यह आईपीओ 15.28 गुना तक सब्सक्राइब हुआ था। फिलहाल बीएसई पर कोल इंडिया का शेयर लगभग 401.85 रुपये के स्तर पर कारोबार कर रहा है, जबकि कंपनी का बाजार पूंजीकरण 2.47 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा है।






