अनीता चौधरी
वरिष्ठ पत्रकार
वक्फ कानून देश में कॉंग्रेस का वो धोखा है जिसे अंग्रेजों ने भी हिंदुओं को नहीं दिया ।
ये बात साफ हो चुकी है कि इस्लाम पंथ विस्तार की नीति पर चलता है और विस्तार के लिए इस्लाम में जिहाद को सुन्नत बताया गया है । जिहाद मतलब अल्लाह के लिए किया गया वो नेक काम जिससे इस्लाम की राह में मज़हब के विस्तार के लिए किया गया हो और इसके लिए धोखा और कत्ल जायज़ बताया गया है । जब बात जिहाद की आती है तो इसके कई नाम सामने आते हैं । उनमें से एक है जमीन जिहाद यानि लैंड जिहाद भी है । वक्फ बोर्ड एक्ट भारत में मुसलमानों को संवैधानिक संरक्षण के साथ कानूनन कुछ ऐसे ही जमीन जिहाद का अधिकार देता है जिसे देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू लेकर आए थे ।
उल्लेखनीय है कि वक्फ एक्ट के नाम पर जो कानून 1923 में अंग्रेजों ने बनाया था, उसमें बोर्ड को कोई स्पेशल पॉवर नहीं दिया गया था। उस समय इसे बनाने का मकसद सिर्फ यह था कि अगर कोई मोमिन अपनी प्रॉपर्टी अल्लाह को देना चाहता है तो उस प्रॉपर्टी कि देख रेख वक्फ बोर्ड करेगा और उसका अधिकार अंग्रेजों के पास था । लेकिन आजादी के बाद साल 1954 में मुस्लिम तुष्टीकरण की राजनीति के तहत तब की जवाहरलाल नेहरू की सरकार की तरफ से यह एक्ट पहली बार लाया गया जिसे कॉंग्रेस की तरफ से हिंदुओं के साथ अब तक का सबसे बड़ा धोखा कहा जा सकता है । 1954 के बाद में कॉंग्रेस सरकार ने ही 1964 में इसे एक वैधानिक रूप देने के लिए सेंट्रल वक्फ काउंसिल ऑफ इंडिया का निकाय के रूप में गठन किया और केंद्रीय निकाय वक्फ अधिनियम, 1954 की धारा 9 के 1 के प्रावधानों के तहत साल 1995 में कॉंग्रेस ने एक्ट कुछ संशोधन करते हुए विभिन्न राज्यों के वक्फ बोर्ड को वक्फ संपत्ति की देखरेख की जिम्मेदारी दे दी । 1995 का संशोधन के तहत हिंदुओं के लिए उनके पीठ में खंजर भोंकने के समान था । कॉंग्रेस ने विवादित ढांचा बाबरी के गिराए जाने के बाद देश के मुस्लिम समुदाय को खुश करने के लिए जमीन आधिपत्य को लेकर वक्फ की शक्तियां बढ़ा दीं । उस समय की तत्कालीन केंद्र की कॉंग्रेस की पीवी नरसिम्हा राव की सरकार ने बाबरी से नाराज मुसलमानों के बीच अपनी पैठ बढ़ाने के लिए वक्फ बोर्ड एक्ट में बदलाव किए और बोर्ड को जमीन अधिग्रहण करने के असीमित अधिकार दे दिए। इसके बाद 2014 के आम चुनाव से पहले एक बार फिर साल 2013 में कॉंग्रेस की मनमोहन सरकार ने वक्फ ऐक्ट में बड़ा संसोधन किया और ये कहते हुए की देश की संसाधनों पर मुसलमानों का पहला हक है वक्फ बोर्ड को जमीन अधिग्रहण का असीमित अधिकार दे दिया। अब वक्फ बोर्ड दान के नाम पर देश की किसी भी संपत्तियों पर दावा कर सकता था। 2013 के संशोधन के मुताबिक वक्फ बोर्ड जिस जमीन या संपत्ति पर भी दावा करेगा तो वो संपत्ति बोर्ड की हो जाएगी और इसकी अपील कहीं नहीं कि जा सकती है ।
यहाँ ये जानना जरूरी है कि देश में अल्पसंख्यकों के लिए बना यह परिषद अल्पसंख्यक मंत्रालय के अंतर्गत आता है लेकिन इस मंत्रालय या परिषद में अल्पसंख्यक मतलब सिर्फ मुसलमान है। देश के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने पहली बार यहीं से संवैधानिक और कानूनी तौर पर ‘माइनारिटी अपिजमेंट पॉलिसी’ की शुरूआत की थी । कॉंग्रेस की नेहरू सरकार द्वारा बनाया गया यह कानून, भारत को इस्लामिक राष्ट्र बनाने में कानूनी सुगमता तो देता ही है साथ ही देश की ज्यादा से ज्यादा संपदा पर वक्फ का हो ये राह भी आसान करता है । कॉंग्रेस की इस रणनीति को देखते हुए यहाँ यह कहना गलत नहीं होगा कि मुस्लिम वक्फ एक्ट हिन्दुओं और भारत माता के साथ हुआ एक ऐसा भयानक षड्यंत्र है जो कानूनी तौर पर संविधान के मूल रूप का मखौल उड़ता है। इसके अनुसार कोई भी कोठी ,मकान ,खेत ,जमीन, जायदाद पर वक्फ दावा कर सकता है और डायरेक्ट डीएम को ऑर्डर दे सकता है। आप भले अपील कर लें लेकिन इंसाफ नहीं मिलेगा क्योंकि सुनवाई बोर्ड में अधिकतर मुस्लिम होंगे ।
इस्लाम में वक्फ यानी ‘अल्लाह के नाम’ वो संपत्ति बताई गई है जो धार्मिक उद्देश्यों के लिए समर्पित हैं और जिस पर सिर्फ अल्लाह का हक है । एक बार अगर कोई संपत्ति वक्फ की होती है तो फिर उस संपत्ति पर किसी का हक नहीं होता । भारत में वक्फ बोर्ड भी दो तरह के हैं सुन्नी वक्फ बोर्ड अलग और शिया वक्फ बोर्ड अलग। भारत में वक्फ बोर्ड के पास इतनी संपत्ति है जिसमें विश्व के 50 से 60 देश समा सकते हैं ।
जमीनी संपत्ति की अगर हम बात करें तो रेलवे और सेना के बाद वक्फ बोर्ड जमीन के मामले में तीसरा बाद मालिक है। वक्फ बोर्ड के पास देश भर में 10 लाख एकड़ से ज्यादा की संपत्ति है। वक्फ की सबसे ज्यादा संपत्ति यूपी वक्फ बोर्ड के पास कुल 2 लाख 14 हजार 707 एकड़ की संपत्तियां हैं। इन संपत्तियों में से 1 लाख 99 हजार 701 सुन्नी वक्फ बोर्ड के पास हैं और 15006 शिया वक्फ बोर्ड के पास हैं। इसके बाद दूसरे नंबर पर बंगाल है। पश्चिम बंगाल में वक्फ बोर्ड के पास 80 हजार 480 संपत्तियां हैं। इनमें से 80 हजार से ज्यादा बांग्लादेश वक्फ बोर्ड के पास है । इसके बाद पंजाब में वक्फ बोर्ड के पास 70,994, तमिलनाडु में 65,945 और कर्नाटक में 61,195 संपत्तियाँ हैं।
वक्फ प्रोपर्टी एक्ट के नाम पर भारत आज ऐसे खतरनाक बम पर बैठ जिस पर इस्लामिक कट्टरपंथी सोच हावी है और जो आने वाले समय में संस्कृति और संप्रभुता पर अपने कट्टरपंथी स्वार्थ के भरी नुकसान पहुंचा सकता है ।
आइए सबसे पहलेजानते हैं वक्फ एक्ट के जमीन जिहादी खतरनाक प्रावधानों को:-
सेक्शन (36) और सेक्शन (40)
इस क्लॉज़ में यह लिखा है कि वक्फ बोर्ड किसी कि भी प्रॉपर्टी को चाहे वह प्राइवेट हो, सोसाइटी की हो या फिर किसी भी ट्रस्ट या व्यक्ति विशेष की उसको अपनी सम्पत्ति घोषित कर सकता है।
सेक्शन 40 (1)
अगर किसी भी व्यक्ति की प्रॉपर्टी को वक्फ प्रॉपर्टी घोषित किया जाता है तो उस व्यक्ति को ऑर्डर का कॉपी देना का कोई प्रावधान नहीं है। साथ ही वो व्यक्ति 3 साल के अंदर अपनी उस प्रॉपर्टी को चैलेंज नहीं किया तो उसकी संपत्ति हमेशा के लिए वक्फ की प्रॉपर्टी घोषित हो जाएगी और उस व्यक्ति को इस बात का पता नहीं चल पता क्योंकि उसके पास कोई लिखित ऑर्डर नहीं होता है ।
सेक्शन 52 और sec 54
जो सम्पत्ति वक्फ संपति घोषित हो जाएगी, उसके बाद वहाँ जो व्यक्ति रह रहा है वो ”ENCROCHER” माना जाएगा, और उसके बाद वक्फ बोर्ड डीएम को ऑर्डर दे सकता है कि उनको हटाया जाए और डीएम वक्फ के ऑर्डर के पालन के लिए बाध्य होगा ।
सेक्शन 4,5,6&7
वक्फ बोर्ड अपनी संपत्ति खर्चा राज्य सरकार से वहन करवा सकती है और इसके लिए कोई मापदंड तय नहीं है। यही नहीं वक्फ बोर्ड किसी भी सम्पत्ति को सर्वे में जोड़ सकता । अगर किसी को इससे तकलीफ़ होती है तो वो वक्फ ट्रिब्यूनल में जा कर अपना केस दर्ज़ कर सकता है । लेकिन अब तक के प्रावधानों के मुताबिक ट्राइब्यूनल में भी वक्फ बोर्ड के ही लोग होते हैं ।
सेक्शन 28 और सेक्शन 29
वक्फ बोर्ड का जो ऑर्डर होगा उसका पालन स्टेट मशीनरी और डीएम को करना ही होगा । इस सेक्शन में वक्फ बोर्ड के कंपोजिशन को बताया गया है जिसमें एक चेयरमैन होता है , एक इलेक्टोरल कॉलेज जिसमें दो व्यक्ति होते हैं जो मुस्लिम एमपी, एमएलए के द्वारा चुने जाते हैं , यहाँ बार काउंसिल के मेंबर सिर्फ मुस्लिम होते हैं , एक टाउन प्लांनिंग का मुस्लिम मेंबर होता है और एक मुस्लिम ही ज्वाइंट सेकेट्री होता है ।
सेक्शन (85)
इसके तहत अगर कोई मामला वक्फ से संबंधित है तो आप दीवानी दावा दायर नहीं कर सकते है। मतलब अगर आपकी प्रॉपर्टी को वक्फ प्रॉपर्टी घोषित कर दिया गया तो आप सिविल कोर्ट में नहीं जा सकते हैं। आप बाध्य होंगे वक्फ ट्रिब्यूनल में जाने के लिए और वक्फ ट्रिब्यूनल की कंपोजिशन इस्लामिक है।
साल 2013 में इस अधिनियम में एक बार फिर संशोधन करते हुए वक्फ बोर्ड को संपत्ति हड़पने का असीमित अधिकार दे दिया गया । मार्च 2014 के लोकसभा चुनाव से ठीक पहले, कांग्रेस ने इस कानून का इस्तेमाल करके दिल्ली की 123 प्रमुख संपत्तियों को दिल्ली वक्फ बोर्ड को उपहार के रूप में दीं थीं । इस इस्लामिक कानून के कारण अब तक देश में हिंदुओं की हजारों एकड़ जमीन छीनी जा चुकी है। हाल ही में तमिलनाडु वक्फ बोर्ड ने 1500 साल पुराने हिंदू मंदिर सहित तमिलनाडु के 6 गांवों को वक्फ संपत्ति घोषित किया था।
मोदी सरकार वक्फ के इसी इस्लामिक अथाह शक्ति पर लगाम लगाने के लिए नए वक्फ बोर्ड अधिनियम संसद में ले कर आई है । मोदी सरकार के अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री किरेन रिजीजू ने जो बिल संसद में पेश किया है उसमें वक्फ बोर्ड की असीमित ताकतों को सीमित करने का प्रावधान है, जिसके मुताबिक –
*अब वक्फ बोर्ड में सिर्फ मुस्लिम ही नहीं गैर मुस्लिम भी शामिल हो सकते हैं।
*वक्फ बोर्ड का सीईओ भी गैर मुस्लिम हो सकता है।
*अब वक्फ बोर्ड में दो महिला सदस्यों को भी शामिल किया जाएगा।
*वक्फ बोर्ड को किसी संपत्ति पर अपना दावा करने से पहले उस दावे का वेरिफिकेशन करना होगा।
*अभी तक मस्जिद या इस तरह की कोई धार्मिक इमारत बने होने पर वो ज़मीन वक्फ की हो जाती थी लेकिन अब मस्जिद बने होने के बावजूद उस ज़मीन का वेरिफिकेशन करवाना जरूरी होगा।
*भारत सरकार की सीएजी के पास अधिकार होगा कि वो वक्फ बोर्ड का ऑडिट कर सके।
*वक्फ बोर्ड को अपनी संपत्ति को उस जिले के जिला मैजिस्ट्रेट के पास दर्ज करवाना होगा, ताकि संपत्ति के मालिकाना हक की जांच की जा सके।
*वक्फ की संपत्तियों पर दावेदारी के मसले को भारत की अदालत में चुनौती दी जा सकेगी और अंतिम फैसला वक्फ बोर्ड का नहीं बल्कि अदालत का मान्य होगा।
*इस बिल के अंतर्गत पहले ट्राइब्यूनल में तीन सदस्य होते थे। अब इसमें एक न्यायिक और टेक्निकल सदस्य भी होगा।
*नए बिल में प्रवधान है कि किसी भी मामले में 90 दिन में उसकी अपील होनी चाहिए और छह महीने के अंदर केस का निपटारा भी हो जाना चाहिए ।
*बोर्ड को चलाने के लिए जानकार और अच्छे अधिकारियों को बोर्ड में नियुक्त किया जाएगा।
*वक्फ संपत्ति से जो भी कमाई होगी वो मुस्लिम समुदाय के कल्याण के लिए ही इस्तेमाल होगी।
- इस विधेयक में तीन नई धाराएं 3ए, 3बी और 3सी शामिल करने का प्रावधान है। ये धाराएं वक्फ की मनमानी शर्तों, पोर्टल और डेटाबेस पर वक्फ का विवरण दाखिल करने और वक्फ की गलत घोषणा के लिए है । विधेयक में वक्फ की गलत घोषणा को रोकने का भी प्रावधान है। बिल के मुताबिक किसी संपत्ति को वक्फ संपत्ति के रूप में दर्ज करने से पहले सभी संबंधितों को सूचना देना आवश्यक होगा।
हालांकि सरकार के इस संशोधन को लेकर देश के कई प्रबुद्ध वर्गों का मानना है कि भारत जैसे लोकतांत्रित देश में मजहबी आधार पर ऐसे बोर्ड और कानून की कोई करूरत नहीं है। उनका कहना है कि अगर वक्फ का कॉन्सेप्ट इस्लामी देशों में भी नहीं है तो भारत में इसकी जरूरत क्यों है । भारत में इस मुस्लिम तुष्टिकरण वाले कानून की वजह से वक्फ देश का तीसरा सबसे बड़ा संपत्ति का मालिक बन बैठा है। आज वक्फ बोर्ड देश की इतनी बड़ी संपदा का मालिक है कि वो जब चाहे एक बार फिर पाकिस्तान की तर्ज पर एक नए देश की माग कर सकता है और जिहाद की नाम पर एक बार फिर भारत कत्लेआम की राह पर जा सकता है ।
ऐसे में भारत के इस विरोध भरी राजनीति पर कई सवाल उठते है कि क्या कॉंग्रेस और बाकी विपक्ष सत्ता को देश हित से बड़ा मानती है ? या उनकी राजनीति का पिलर सिर्फ मुस्लिम तुष्टीकरण है ? या फिर बात इससे भी कहीं ज्यादा है धर्म विशेष के नाम पर अखंड भारत को खंडित करते रहने की ये साजिश है ? कहीं एक रणनीति के अंतर्गत कानूनी तौर पर सनातन की मजबूत जड़ को कमजोर करना ही इनका मकसद तो नहीं है जिसकी साजिश में अभी मैकाले की बू हो और विपक्ष विदेशी हाथों में कठपुतली बनकर झूल रहा है ।