
अंशुल मौर्य
वाराणसी, 31 मई 2025:
यूपी के वाराणसी जिले में बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) के चिकित्सा विज्ञान संस्थान (IMS) के निदेशक प्रो. एस. एन. संखवार ने एक डायग्नोस्टिक सेंटर के संचालक और उनकी पत्नी पर धोखाधड़ी का मुकदमा मामला दर्ज कराया है। लंका थाने में दर्ज इस एफआईआर में टेंडर प्रक्रिया में फर्जी दस्तावेज और जाली हस्ताक्षरों के जरिए बीएचयू प्रशासन को ठगने की कोशिश का आरोप लगाया है।
सर सुंदर लाल अस्पताल में डायग्नोस्टिक सेंटर के रखरखाव को लेकर निकाला गया था टेंडर
लंका थाने में दर्ज इस मुकदमे में नोबल स्टार हेल्थ सर्विसेस प्राइवेट लिमिटेड, रश्मिनगर के निदेशक डॉ. उदय भान सिंह और उनकी पत्नी रजनी सिंह को नामजद किया गया है। प्रो. संखवार का आरोप है कि डॉ. उदय भान सिंह और रजनी सिंह ने सर सुंदरलाल अस्पताल, बीएचयू में 14 अगस्त 2024 को जारी एक महत्वपूर्ण टेंडर में हिस्सा लिया। यह टेंडर सुपर स्पेशियलिटी ब्लॉक में डायग्नोस्टिक इमेजिंग के संचालन, रखरखाव और प्रबंधन से जुड़ा था।
पड़ताल में फर्जी निकले डायग्नोस्टिक सेंटर के समझौता व अनुभव प्रमाण पत्र
दोनों लोगों ने कथित तौर पर फर्जी समझौता पत्र और जाली अनुभव प्रमाण पत्र जमा कर पूरे सिस्टम को धोखा देने की कोशिश की। आरोपियों ने कानपुर स्कैन्स अल्ट्रासाउंड एंड इमेजिंग सेंटर, कानपुर और डॉ. जायसवाल इमेजिंग क्लिनिक प्राइवेट लिमिटेड, गोरखपुर के साथ कथित व्यापारिक कॉन्ट्रैक्ट का दावा किया। लेकिन जब बीएचयू प्रशासन ने इन दस्तावेजों की पड़ताल शुरू की, तो सच सामने आया। प्रशासन ने रजिस्टर्ड डाक और ईमेल के जरिए दोनों संस्थानों से सत्यापन मांगा, लेकिन जवाब में या तो चुप्पी मिली या बार-बार बयान बदले गए। आखिरकार, अस्पताल की 9 सदस्यीय उच्चस्तरीय तकनीकी मूल्यांकन समिति ने इन दस्तावेजों को पूरी तरह फर्जी और कूटरचित घोषित कर दिया।
सात रेडियोलॉजिस्ट के हस्ताक्षर फर्जी निकले
FIR में यह भी कहा गया है कि आरोपियों ने सात प्रतिष्ठित रेडियोलॉजिस्ट डॉक्टरों के हस्ताक्षर जालसाजी कर फर्जी समझौता पत्र तैयार किए। इनमें कुछ ऐसे डॉक्टर भी शामिल हैं, जो सोनोग्राफिस्ट हैं और जिनका सीटी स्कैन या एमआरआई से कोई लेना-देना ही नहीं है। इस तरह की धोखाधड़ी ने न केवल बीएचयू प्रशासन को, बल्कि चिकित्सा क्षेत्र की साख को भी दांव पर लगा दिया।