पटना, 05 नवंबर, 2024
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने एम्स पटना के कार्यकारी निदेशक डॉक्टर गोपाल कृष्ण पाल पर बड़ा एक्शन लिया है। गोपाल कृष्ण पाल को एम्स पटना के कार्यकारी निदेशक के पद से हटा दिया गया है। दरअसल एम्स पटना डायरेक्टर पर यह आरोप लगा था कि उन्होंने अपने बेटे का नामांकन पीजी में करा दिया था और तब वह एम्स गोरखपुर के डायरेक्टर के अतिरिक्त प्रभार में थे। उन पर यह भी आरोप है कि उन्होंने अपने पुत्र का नामांकन प्रमाण पत्र नॉन क्रीमी लेयर के तहत बना करके कराया था। मिली जानकारी के मुताबिक एम्स देवघर के कार्यकारी निदेशक डॉक्टर सौरभ वार्ष्णेय को अगले तीन माह तक या जब तक एम्स पटना के नए निदेशक नहीं मिल जाते हैं, तब तक वह इस पद पर कार्यरत रहेंगे।
बताया जा रहा है कि अपने बेटे का एडमिशन कराने के मामले के उजागर होने के बाद केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने एक जांच कमेटी का भी गठन किया था। जिसमें दो सदस्य थे। इस कमेटी ने भारत सरकार को अपनी रिपोर्ट भी सौंप दी थी। इसके बाद मंगलवार को केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने बड़ी कार्रवाई करते हुए डॉक्टर गोपाल कृष्ण पाल को उनके पद से हटा दिया। हालांकि पटना एम्स प्रबंधन इस मामले पर कुछ भी बोलने से परहेज कर रहा है।
बता दें कि गोपाल कृष्ण पाल जब एम्स पटना के डायरेक्टर थे तो वह गोरखपुर एम्स के भी निदेशक के प्रभार में थे। इसी दौरान उनके बेटे आरो प्रकाश पाल का पटना से नॉन क्रीमी लेयर सर्टिफिकेट बनवाकर के गोरखपुर एम्स में दाखिला कराने का मामला सामने आया था। इस मामले में तूल पकड़ लिया था। इसी साल चार सितंबर 2024 को इस मामले की शिकायत की गई थी। गोपाल कृष्ण पाल की बेटी का भी पटना एम्स में हुआ दाखिला विवादों में रहा है।
डॉ गोपाल कृष्ण पाल ने पूर्व में यह बयान भी दिया था कि उन पर जो भी आरोप लगे हैं, उनका कोई आधार नहीं है। वह जांच कमेटी के सामने अपने पक्ष को रखेंगे। उन्होंने जांच कमेटी के सामने अपने पक्ष को रखा भी था। लेकिन कमेटी ने उनके ऊपर लगे आरोपों को सही पाया। बताया जाता है कि इस मामले के तूल पकड़ने के बाद डॉक्टर पॉल ने अपने बेटे का दाखिला रद्द भी कर दिया था। लेकिन उसके बाद भी यह मामला नहीं थम रहा था। अंतत उन्होंने पटना एम्स के निदेशक पद को गंवाना पड़ा।