अपराजिता बिल पर केंद्र ने ममता सरकार को घेरा, रिजिजू ने तीन साल पुरानी चिट्ठी से उठाए सवाल

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नई दिल्ली, 5 सितम्बर 2024

केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की आलोचना करते हुए उनकी सरकार पर राज्य में महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अपराधों की अनदेखी का आरोप लगाया है। उन्होंने 2021 की एक चिट्ठी का हवाला देते हुए ममता सरकार पर फास्ट ट्रैक कोर्ट की स्थापना में देरी का मुद्दा उठाया।

रिजिजू ने बुधवार (4 सितंबर) को कोलकाता में एक महिला ट्रेनी डॉक्टर के रेप-मर्डर मामले पर ममता बनर्जी सरकार के निपटने के तरीके की कड़ी आलोचना की। अपने आधिकारिक एक्स (पहले ट्विटर) अकाउंट पर पोस्ट किए गए एक पत्र में, तत्कालीन कानून मंत्री रिजिजू ने 2021 में ममता बनर्जी को भेजे गए पत्र का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि 2018 में संसद ने बलात्कार जैसे जघन्य अपराधों से निपटने के लिए एक सख्त कानून पारित किया था, लेकिन राज्य सरकार की तरफ से कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई।

रिजिजू की यह टिप्पणी पश्चिम बंगाल विधानसभा द्वारा हाल ही में पारित किए गए अपराजिता महिला एवं बाल (पश्चिम बंगाल आपराधिक कानून संशोधन) विधेयक, 2024 के संदर्भ में आई है। रिजिजू ने एक्स पर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को संबोधित पत्र की एक तस्वीर साझा की और लिखा, “मुझे दुख है कि पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ने महिलाओं और बच्चों को त्वरित न्याय दिलाने के अपने सबसे पवित्र कर्तव्य की अनदेखी की। 2021 का यह पत्र इस अनदेखी को स्पष्ट रूप से दर्शाता है।”

उन्होंने आगे कहा, “2018 में संसद द्वारा बलात्कार जैसे गंभीर अपराधों से निपटने के लिए कड़ा कानून पारित किया गया था। राज्य सरकारों को इसे लागू करने के लिए कदम उठाने चाहिए।”

पुरानी चिट्ठी का मुद्दा:

11 नवंबर 2021 के इस पत्र में किरेन रिजिजू ने पश्चिम बंगाल में फास्ट ट्रैक स्पेशल कोर्ट (एफटीएससी) और ई-पॉक्सो अदालतों की स्थापना का आग्रह किया था। उनका कहना था कि यह अदालतें राज्य में महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अपराधों के त्वरित निपटारे के लिए आवश्यक हैं। पत्र में कहा गया था कि मई 2021 तक पश्चिम बंगाल में बलात्कार और पॉक्सो अधिनियम के तहत 28,559 मामले लंबित थे, जिनका समाधान फास्ट ट्रैक अदालतों के जरिये जल्दी किया जाना चाहिए।

पत्र में यह भी लिखा गया था कि पश्चिम बंगाल राज्य के लिए 20 ई-पॉक्सो अदालतों सहित 123 फास्ट ट्रैक कोर्ट निर्धारित किए गए थे, लेकिन इन अदालतों की स्थापना के लिए राज्य सरकार की मंजूरी अभी तक लंबित है।
रिजिजू ने अपने पोस्ट में लिखा, “मुझे दुख है कि पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ने महिलाओं और बच्चों को त्वरित न्याय प्रदान करने के अपने कर्तव्य की अनदेखी की। 2021 का यह पत्र इसका प्रमाण है।”

केंद्र बनाम राज्य सरकार:
अपराजिता विधेयक के पारित होने के बाद केंद्र और पश्चिम बंगाल सरकार के बीच मतभेद एक बार फिर उभर कर सामने आए हैं। केंद्रीय मंत्री रिजिजू के इस पत्र का हवाला देकर ममता सरकार पर सवाल उठाने से यह स्पष्ट हो गया है कि राज्य में महिलाओं और बच्चों की सुरक्षा के मुद्दे पर केंद्र सरकार गंभीर है।

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