नई दिल्ली, 9 जून 2025
पिछले 11 वर्षों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत की वैश्विक पहचान में महत्वपूर्ण बदलाव आया है। जहां पहले भारत को एक विकासशील राष्ट्र के रूप में देखा जाता था, अब उसे एक उभरती वैश्विक शक्ति के रूप में मान्यता मिल रही है। मोदी की विदेश नीति और वैश्विक मंचों पर उनकी सक्रियता ने इस छवि को गढ़ने में अहम भूमिका निभाई है।
प्रधानमंत्री मोदी ने सभी बड़े देशों से संतुलित रिश्ते बनाए — चाहे वह अमेरिका हो, रूस, चीन या यूरोपीय राष्ट्र। उन्होंने विश्व के नेताओं को भारत के भविष्य के बारे में विश्वास दिलाया और भारत को एक मजबूत, आत्मनिर्भर और निवेश-योग्य राष्ट्र के रूप में प्रस्तुत किया। अमेरिका में ओबामा से लेकर ट्रंप और बाइडेन तक, सभी नेताओं के साथ उन्होंने करीबी रिश्ते बनाए। वहीं फ्रांस और इटली जैसे यूरोपीय देशों से व्यापारिक संबंधों को भी नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया।
भारत की अर्थव्यवस्था भी लगातार मजबूत हो रही है। वर्ष 2024 में भारत विश्व की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया। यही नहीं, कनाडा, अमेरिका, इंग्लैंड और यूरोप में बसे भारतीय प्रवासियों का आत्मविश्वास भी पहले से अधिक बढ़ा है। अब वे खुद को भारतीय कहने में गर्व महसूस करते हैं।
हालांकि इस प्रगति के साथ चुनौतियां भी बढ़ीं। पाकिस्तान और चीन जैसे देशों ने भारत को घेरने की रणनीति अपनाई। फिर भी भारत ने संतुलित विदेश नीति अपनाते हुए अफगानिस्तान, ईरान और यूरोपीय राष्ट्रों से संबंध मजबूत किए।
रूस के साथ रिश्तों में थोड़ा बदलाव जरूर आया, विशेष रूप से चीन के प्रभाव के चलते। फिर भी भारत ने रूस के साथ व्यापारिक साझेदारी को बनाए रखा। मोदी सरकार ने यह भी स्पष्ट कर दिया कि भारत की विदेश नीति स्थायी नहीं बल्कि लचीली और राष्ट्रहित पर आधारित है।
निश्चित ही, पीएम मोदी की विदेश नीति ने भारत को एक नई पहचान दी है — एक आत्मविश्वासी, सशक्त और वैश्विक मंच पर निर्णायक भूमिका निभाने वाला राष्ट्र।