डॉ कोमल शर्मा
नेचुरोपैथ एवं पत्रकार
धार्मिक स्थल तिरूपति बालाजी मंदिर के प्रसादम में इस्तेमाल घी में फॉरन फैट यानि जानवरों की चर्बी की मिलावट का पता चलता है, तो ज़हन में आता है कि शुद्धता के नाम पर आम आदमी की आस्था के साथ कितना बड़ा विश्वासधात हो रहा है। वो शख्स जो पूरी तरह से शाकाहार का पालन करता है या जो कुछ खास दिनों या जगह पर शाकाहार का पालन करता है वह कोई वस्तु ये सोच कर खरीदता है कि उसमें किसी तरह का एनिमल प्रोडेक्ट नही होगा…लेकिन इस बात से अनजान होता है कि दरअसल उसके द्वारा इस्तेमाल की जा रही या खाए जाने वाले खाद्यपदार्थ में किसी तरह का एनिमल प्रोडेक्ट है।
एक इंसान जो मांस मछली तो दूर प्याज लहुसन से भी परहेज करता है, वो कोई भी खाद्य पदार्थ यह सोच कर लेता है कि उसके खाने या इस्तेमाल की जाने वाली वस्तु शुद्ध है। लेकिन वाकई हम जो खा रहे है वो विश्वासयोग्य है।क्या वो वाकेय शुद्ध है? क्या वो वाकई मिलावट रहित है ? किसी शादी समारोह में , भंडारे में , रेस्ट्रां में या फिर घर में ही व्रत त्यौहार में शुद्ध शाकाहारी समझ कर खा रहे खाने को लेकर कितनी गारंटी है कि वो जो दिख रहा है वो वाकई वो ही है? तिरूपति मंदिर के प्रसादम् में चर्बी की मिलावट की खबर के बाद अब ये विश्वास कर पाना कठिन लगता है।
खाने पीने की वस्तुएं ही नही, दिनचर्या में इस्तेमाल किए जाने वाली कई वस्तुएं, उसमें भी कुछ ऐसा है जो आपकी आस्था, आपके विश्वास के साथ छल है। आपको ये जानकर तकलीफ हो सकती है कि इतने वक्त से जो फास्ट फूड, कई तरह की सॉस , चॉकलेट , बिस्कुट, घी, मसाले, टूथपेस्ट, दवाईयां, कॉस्मेटिक्स और ना जाने क्या क्या, जो आप ये सोच कर इस्तेमाल करते आ रहे है कि वो पूर्ण रूप से शाकाहारी है, लेकिन ऐसा जब असल में नही होता। बल्कि उसमें ऐसा कुछ है जिससे आप परहेज करते है । इनमें से कई प्रोडेक्ट्स में सही जानकारी ना देकर वाकेय धोखाधड़ी की जाती है तो किसी के प्रोडेक्ट में हरा , ब्राउन या रेड कलर का डॉट लगा कर कंपनी ये जानकारी देती है। वही कुछ प्रोडेक्ट ऐसे भी है जिसमें कुछ ऐसे कोड होते है जिनकी जानकारी होने पर ही सही पता चल पाता है कि उसमें कोई फॉरन फैट यानि जानवरों की चर्बी या हड्डी ्इत्यादि का इस्तेमाल है या नही ।
तिरूपति बालाजी के प्रसाद में इस्तेमाल घी में ही नही बल्कि कितने ही बार शुद्ध घी के नाम पर सस्ता मिलने ्वाले घी में फॉरन फैट और जानवरों के सींग वगैहरा के इस्तेमाल के मामले भी सामने आए है। ऐसे में अब नवरात्रों में नौ दिन व्रत रखने और मंदिर में शुद्ध देसी घी की जोत जलाने वाली दिल्ली की कल्पना साही का कहना है कि अब वो असमंजस में है कि जिस घी का इस्तेमाल पूजा के दिनो में करेंगी, वो वाकेय शुद्ध है या नही ? जाहिर सी बात है ये शंका हजारो लाखों लोगो के मन में उठ रही होगी।
घी ही नही कई सूप, सॉसेज, डेयरी प्रोडेक्ट, अच्छे टेक्सचर वाले चॉक्लेट में पशु फैट हो सकता है । कुछ क्रिस्पी स्नैक्स , चिप्स , बर्गर, फ्रैंच फ्राइज में भी पशु फैट होता है। वहीं सुबह दांत साफ करने वाले कई टुथपेस्ट, नहाने वाले साबुन, खाने वाली कई दवाईयों में जानवरों की चर्बी, हड्डियों और बाकी कई अंगों का इस्तेमाल किया जाता है ।
जिन प्रोडेक्ट पर सही जानकारी है कि उसमें क्या है उसका इस्तेमाल करते वक्त ग्राहक को ही सजग रहना होगा कि पूरी जानकारी देखने पढ़ने के बाद उसे इस्तेमाल में लाए । लेकिन सवाल उन वस्तुओं का है जिनसे हम अनभिज्ञ रहते है कि क्या वो वाकेय शाकाहारी है या नही ।
आधुनिक जीवन में कई ऐसे खानपान है जो विदेशी आहार की तर्ज़ पर है लेकिन मांसाहार से गुरेज़ करने वाले उन्हे धड़ल्ले से खा रहे है बिना ये जाने कि उसमें किसी ना किसी तरह का एनिमल प्रोडेक्ट है । पिज्जा , सैंडविच , पास्ता जैसी डिशिज़ में इस्तेमाल की जाने वाली कई चीज़ में रेन्नेट मिला होता है जो ऐसा एनिमल प्रोडेक्ट है जो बछड़े की आंत से मिलता है। ऐसे में अगर चीज़ बाजार से लेबल पढकर खरीदा जाए तो पता चल सकता है लेकिन बाहर खाने वाले इससे अनजान रह सकते हैं।
ओमेगा 3 और विटामिन डी वाले कई प्रोडेक्ट में मछली का तेल हो सकता है ।
क्या आपको पता है कि आप जो सॉफ्ट ड्रिंक्स पीते है, उसमें भी जिलेटिन यानि जानवर की आंत को गाढ़ा करने के लिए मिलाया जाता है , इसलिए ज़रूरी है कि अब से आप सचेत रहे कि आप जो सॉफ्ट ड्रिंक पी रहे है उसकी जानकारी रखें।
जिस रिफांइड चीनी को आप मीठे के तौर पर इस्तेमाल कर रहे है उसे ब्लीच कर सफेद बनाया जाता है “बोन चार” यानि जानवरों की हड्डी से ।
आप ये जानकर चौकेंगे कि कुछ ऐसे स्नैक्स जैसे नमकीन मसालेदार मूंगफली, चिप्स आदि में भी जिलेटिन हो सकता है।
रेस्ट्रां में मिलने वाले या पैकेट वाले कई सूप में भी एनिमल प्रोडेक्ट हो सकता है फिर चाहे आप उसे वेजिटेबल सूप समझ कर ही क्यों ना पी रहे हो।
बहुत सारे डार्क चॉक्लेट्स में एनिमल प्रोडेक्ट होता है इसलिए खाने से पहले उनके पैकेट को अच्छी तरह से देख लें।
बहुत सारे प्रोडेक्स के पैकेट पर कुछ ऐसे को़ड्स भी होते है जिनसे पता चलता है कि वे नॉनवेज की कैटेगरी में आते है जैसे E904, E631, E322, E471,E120
दरअसल शाकाहारी होना या मांसाहारी होने प्रत्येक व्यक्ति की अपनी स्वतंत्रता है, लेकिन वहीं उसको ये भी आजादी है कि वो जो खा या इस्तेमाल कर रहा है वो सही और उसके मनमुताबिक है या नही । लेकिन आज के दौर में इसका हमेशा पता चल पाए , इसकी कोई गारंटी नहीं। ऐसे में शुद्धता के नाम पर मिलावट मिलने पर अपने को छला महसूस होता है।