
भदोही, 11 अक्टूबर 2025:
यूपी की विश्व प्रसिद्ध कालीन नगरी भदोही में शनिवार को 49वें अंतरराष्ट्रीय कालीन मेला का शुभारंभ मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने किया। उन्होंने उद्यमियों को टैरिफ संकट से उबारने के लिए फ्री ट्रेड एग्रीमेंट के जरिये नए अवसर तलाशने का भरोसा दिलाया। कहा टैरिफ से डरने की जरूरत नहीं ये उद्योग बंद होने वाला था इसको पुनर्जीवन मिला है।
सीएम योगी ने मेला का शुभारंभ करने के बाद विभिन्न योजनाओं के लाभार्थियों को धनराशि के चेक भी प्रदान किए। वहीं घोषणा की कि काशी नरेश राजकीय महाविद्यालय को जल्द ही विश्वविद्यालय का दर्जा दिया जाएगा, जिससे क्षेत्र के युवाओं को बेहतर शैक्षिक अवसर मिलेंगे। शुभारंभ से पूर्व उन्होंने कालीन के उद्यमियों से संवाद किया। हालांकि निर्यातकों द्वारा उम्मीद की जा रही बेल आउट पैकेज की कोई घोषणा नहीं की गई, लेकिन मुख्यमंत्री ने भरोसा दिलाया कि केंद्र और प्रदेश सरकारें मिलकर उद्योग को इस संकट से उबारने पर काम कर रही हैं।
सीएम ने अपने सम्बोधन में कहा कि उत्तर प्रदेश में आज ₹2 लाख करोड़ का निर्यात हो रहा है। खेती-किसानी के साथ-साथ वस्त्र उद्योग और MSME सेक्टर को पुनर्जीवित कर राज्य में बड़े पैमाने पर रोजगार सृजन हुआ है। उन्होंने बताया कि सरकार कालीन उद्योग को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाने के लिए हर संभव सहयोग दे रही है। भारत को वैश्विक अर्थव्यवस्था के रूप में स्थापित करने में हमारे परंपरागत हस्तशिल्पी और कारीगरों का बहुत बड़ा योगदान है। उन्होंने कहा कि यही कारीगर हमारी परंपरा और पहचान हैं, और सरकार उनके विकास के लिए निरंतर प्रयासरत है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि “आप सिर्फ एक टैरिफ से डर गए थे, लेकिन 11 साल पहले कालीन उद्योग लगभग बंद होने की कगार पर था। आज भदोही, मिर्जापुर और वाराणसी में यह उद्योग पुनर्जीवित हो चुका है।” भदोही में कालीन निर्यात मार्ट की स्थापना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की एक अभिनव पहल थी, जिसने इस क्षेत्र को कालीन उद्योग का केंद्र बना दिया। पिछले चार वर्षों में कार्पेट एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल (CEPC) द्वारा आयोजित मेलों में विदेशी खरीदारों की सक्रिय भागीदारी इस पहल की वैश्विक सफलता का प्रमाण है।
मुख्यमंत्री योगी ने अमेरिकी टैरिफ से उत्पन्न चुनौतियों पर कहा कि सरकार विभिन्न देशों के साथ फ्री ट्रेड एग्रीमेंट (FTA) के माध्यम से नए अवसर तलाश रही है। उन्होंने बताया कि भारत सरकार यूएई और यूके के साथ एफटीए को अंतिम चरण में ले आई है, जिससे निर्यातकों को बड़ी राहत मिलने की उम्मीद है। लाखों लोगों को रोजगार देने वाले इस उद्योग को “एक जनपद, एक उत्पाद (ODOP)” योजना में शामिल किया गया है, जिससे शिल्पकारों और बुनकरों को सीधा लाभ मिल रहा है। जीएसटी दरों में कमी से भी कालीन उद्योग को राहत मिली है, पहले 12 से 18 प्रतिशत के स्लैब में आने वाला रॉ मटीरियल अब मात्र 5 प्रतिशत जीएसटी दर पर उपलब्ध है।