मेरठ, 1 अक्टूबर 2024:
अनमोल,
उत्तर प्रदेश के मेरठ में पड़ाव नगर के निवासी सूरज प्रकाश, जो बैंक से सेवानिवृत्त हैं, 17 सितंबर को साइबर ठगी का शिकार हो गए। ठगों ने खुद को महाराष्ट्र पुलिस का अधिकारी बताकर सूरज प्रकाश को धमकाया और उनके खिलाफ एक झूठा मुकदमा दर्ज होने की बात कहकर डराया। इसी दबाव में आकर सूरज प्रकाश ने ठगों को अपनी बैंक खाते की जानकारी दे दी और कुल 1 करोड़ 73 लाख रुपये ठगों के खाते में ट्रांसफर कर दिए।
साइबर थाना पुलिस की कार्रवाई और ठगों की गिरफ्तारी
सूरज प्रकाश की शिकायत के बाद, मेरठ साइबर थाना की टीम ने इस मामले की जांच शुरू की। पुलिस की तीन टीमें महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल, और तेलंगाना भेजी गईं, जहां 10 दिनों की मेहनत के बाद चार आरोपियों को गिरफ्तार किया गया।
• महाराष्ट्र से निलेश और नावेद को गिरफ्तार किया गया। निलेश के खाते में 90 लाख रुपये ट्रांसफर हुए थे, जिनमें से 4,99,500 रुपये नावेद के खाते में भेजे गए। नावेद ने इस पैसे का उपयोग क्रिप्टोकरेंसी खरीदने और बेचने में किया।
• तेलंगाना से नामिजला नामक व्यक्ति को पकड़ा गया, जिसने और उसकी पत्नी ने 12 बैंक खाते खोले थे। इनमें से कई खाते ट्रेडिंग कंपनियों को किराए पर दिए गए थे। एक खाते में 8,80,000 रुपये ट्रांसफर हुए थे।
• चौथा आरोपी सौम्यासिस पश्चिम बंगाल से गिरफ्तार किया गया, जिसके खाते में लगभग 45 लाख रुपये ट्रांसफर हुए थे।
ठगी के मास्टरमाइंड की तलाश जारी
सीओ क्राइम एसपी सिंह ने बताया कि पकड़े गए आरोपी ठगी के पहले चरण में शामिल थे, जिनके खाते में सीधे पैसा ट्रांसफर हुआ था। पुलिस इस गिरोह के मास्टरमाइंड की तलाश कर रही है, जो ठगी के इस बड़े नेटवर्क को चला रहा है। मास्टरमाइंड लोगों के नाम पर बैंक खाते खुलवाकर और उनके फोन नंबर अपने नियंत्रण में रखकर ठगी की रकम निकालता था।
मेरठ एसएसपी विपिन ताड़ा ने बताया कि इस प्रकरण में 25 से अधिक बैंक खातों की पहचान की गई है और अब तक 45 लाख रुपये की रकम फ्रीज कर दी गई है। गिरफ्तार आरोपियों के बारे में जानकारी देते हुए उन्होंने कहा कि ये लोग ठगी की रकम का उपयोग क्रिप्टोकरेंसी में निवेश करने में भी करते थे। पुलिस जल्द ही इस संगठित गिरोह के बाकी सदस्यों को गिरफ्तार करने की दिशा में कार्य कर रही है