
बरेली, 25 जून 2025:
ईरान और इज़राइल के बीच युद्ध के साए में फंसे भारतीय नागरिकों को लेकर भारत सरकार द्वारा चलाए जा रहे ‘ऑपरेशन सिंधु’ के तहत कई जायरीन सकुशल अपने वतन लौट चुके हैं। इन्हीं में शामिल हैं उत्तर प्रदेश के बरेली जिले के कुछ लोग जो जियारत पर ईरान गए थे। चार दिन तक मिसाइलों और धमाकों के बीच जिंदगी और मौत से जूझने के बाद लौटे इन जायरीनों की आंखें भर आईं। इन्होंने बताया कि कैसे डर के साए में हर दिन गुजारना पड़ा।
बरेली की नजमा बेगम कहती हैं, “ऐसा लगा जैसे अब वतन लौटना मुमकिन नहीं। हमने कफन तक खरीद लिया था। ऊपर आसमान में उड़ती मिसाइलें दिखती थीं। अंदर से सब डरे थे लेकिन एक-दूसरे को हिम्मत दे रहे थे।” वहीं रुखसार नकवी बताती हैं कि जब फ्लाइट कैंसल होने की खबर मिली, तो मानो दिल बैठ गया। “रात भर नींद नहीं आई, बस यही दुआ करते रहे कि किसी तरह वापस लौट जाएं।”
प्रेमनगर क्षेत्र के हसन जाफर ने बताया कि ईरान के स्थानीय लोग मिसाइलों के वीडियो बना रहे थे, लेकिन भारतीय जायरीन डर से सहमे हुए थे। “धमाकों की आवाजें दिल दहला देती थीं, और एयरपोर्ट पर मोबाइल तक बंद करा दिए गए।”
दिल्ली एयरपोर्ट पहुंचते ही जायरीनों का तिरंगे से स्वागत हुआ। मुजीब ज़हरा ने बताया कि “तिरंगा थामते ही ऐसा लगा जैसे फिर से जिंदगी मिल गई हो। भारत सरकार और ईरान स्थित भारतीय दूतावास की मदद से हम सुरक्षित लौट सके।”
इन जायरीनों की कहानी सिर्फ डर और संघर्ष की नहीं है, बल्कि यह भारतीय नागरिकों की सुरक्षा के लिए सरकार के प्रयासों और उनके अदम्य साहस का प्रमाण भी है। जो लोग वतन लौटे हैं, उनके लिए यह अनुभव जिंदगी भर के लिए यादगार और भावनात्मक बन गया है।
बरेली, 25 जून 2025:
ईरान और इज़राइल के बीच युद्ध के साए में फंसे भारतीय नागरिकों को लेकर भारत सरकार द्वारा चलाए जा रहे ‘ऑपरेशन सिंधु’ के तहत कई जायरीन सकुशल अपने वतन लौट चुके हैं। इन्हीं में शामिल हैं उत्तर प्रदेश के बरेली जिले के कुछ लोग जो जियारत पर ईरान गए थे। चार दिन तक मिसाइलों और धमाकों के बीच जिंदगी और मौत से जूझने के बाद लौटे इन जायरीनों की आंखें भर आईं। इन्होंने बताया कि कैसे डर के साए में हर दिन गुजारना पड़ा।
बरेली की नजमा बेगम कहती हैं, “ऐसा लगा जैसे अब वतन लौटना मुमकिन नहीं। हमने कफन तक खरीद लिया था। ऊपर आसमान में उड़ती मिसाइलें दिखती थीं। अंदर से सब डरे थे लेकिन एक-दूसरे को हिम्मत दे रहे थे।” वहीं रुखसार नकवी बताती हैं कि जब फ्लाइट कैंसल होने की खबर मिली, तो मानो दिल बैठ गया। “रात भर नींद नहीं आई, बस यही दुआ करते रहे कि किसी तरह वापस लौट जाएं।”
प्रेमनगर क्षेत्र के हसन जाफर ने बताया कि ईरान के स्थानीय लोग मिसाइलों के वीडियो बना रहे थे, लेकिन भारतीय जायरीन डर से सहमे हुए थे। “धमाकों की आवाजें दिल दहला देती थीं, और एयरपोर्ट पर मोबाइल तक बंद करा दिए गए।”
दिल्ली एयरपोर्ट पहुंचते ही जायरीनों का तिरंगे से स्वागत हुआ। मुजीब ज़हरा ने बताया कि “तिरंगा थामते ही ऐसा लगा जैसे फिर से जिंदगी मिल गई हो। भारत सरकार और ईरान स्थित भारतीय दूतावास की मदद से हम सुरक्षित लौट सके।”
इन जायरीनों की कहानी सिर्फ डर और संघर्ष की नहीं है, बल्कि यह भारतीय नागरिकों की सुरक्षा के लिए सरकार के प्रयासों और उनके अदम्य साहस का प्रमाण भी है। जो लोग वतन लौटे हैं, उनके लिए यह अनुभव जिंदगी भर के लिए यादगार और भावनात्मक बन गया है।