Uttar Pradesh

मायानगरी से अखाड़े तक: ममता कुलकर्णी के यामाई नंद गिरी बनने की कहानी

प्रयागराज,27 जनवरी 2025

फिल्म अभिनेत्री ममता कुलकर्णी ने बॉलीवुड की चकाचौंध भरी दुनिया को त्यागकर आध्यात्मिक जीवन अपना लिया है। उन्होंने बताया कि जब उन्होंने फिल्म इंडस्ट्री छोड़ी, तब उनके पास 25 फिल्मों के प्रस्ताव थे, लेकिन उन्होंने अपनी इच्छा से संन्यास का मार्ग चुना। पिछले 23 वर्षों से वह गृहस्थ जीवन से दूर तपस्वी जीवन व्यतीत कर रही हैं। ममता कुलकर्णी ने बताया कि जब उनके खिलाफ केस चला, तब उन्होंने महाकाल और महाकाली के सामने अपनी नाराजगी जताई, लेकिन कठोर तपस्या और भक्ति के बाद उन्हें आशीर्वाद प्राप्त हुआ और आज वह किन्नर अखाड़े की महामंडलेश्वर बनी हैं। शुक्रवार को संगम के तट पर पिंडदान करने के बाद आचार्य महामंडलेश्वर लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी की उपस्थिति में उनका पट्टाभिषेक हुआ, जिसके बाद उन्हें अब महामंडलेश्वर श्री यामाई ममता नंद गिरी के नाम से जाना जाएगा।

ममता कुलकर्णी का मानना है कि किन्नर अखाड़ा अन्य अखाड़ों की तुलना में मध्यम मार्गी है और उनके अनुकूल है, जहां वह सांसारिक और आध्यात्मिक जीवन के संतुलन के साथ जीवन व्यतीत कर सकती हैं। वह पिछले दो वर्षों से किन्नर अखाड़े से जुड़ी हुई हैं और वर्ष 2000 से ही धर्म और अध्यात्म की ओर उनका झुकाव रहा है। संन्यास लेने के बाद अब उनका उद्देश्य धर्म और अध्यात्म का प्रचार करना है। हालांकि, किन्नर अखाड़े की ओर से उन पर फिल्मों में वापसी की कोई रोक नहीं है, लेकिन उन्होंने स्पष्ट रूप से बॉलीवुड में लौटने से इनकार कर दिया है। कुंभ मेले में आयोजित धार्मिक अनुष्ठानों और दीक्षा प्रक्रियाओं के बाद उन्हें आधिकारिक रूप से महामंडलेश्वर घोषित किया गया, जिसके दौरान पूरा क्षेत्र ओम पार्वती पतये नमः के जयघोष से गूंज उठा।

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