यह घटना बहुत पुरानी है पर यूपी की पूर्व मुख्यमंत्री और बसपा सुप्रीमो मायावती आए दिन इस घटना का जिक्र करती रहती हैं . कहा जाता है कि गेस्ट हाउस कांड के बाद से ही मायावती ने साड़ी पहनना छोड़ दिया था और सलवार सूट पहनने लगी थीं. आइए जानते हैं क्या है ये गेस्ट हाउस कांड?
रामजन्मभूमि आंदोलन के बाद बसपा के संस्थापक कांशीराम को मुलायम सिंह यादव ने नई पार्टी बनाने की सलाह दी. 1992 में समाजवादी पार्टी बनी और अगले साल होने वाले यूपी विधानसभा चुनाव में भाजपा को टक्कर देने के लिए बसपा के साथ गठबंधन किया गया. सपा 109 सीटें और बसपा 67 सीटें जीतने में कामयाब रही. भाजपा 177 सीटें जीतकर सबसे बड़ी पार्टी बनी, लेकिन सत्ता में नहीं आ सकी. मुलायम सिंह ने कांग्रेस समेत दूसरे छोटे दलों और निर्दलीय विधायकों के समर्थन से सरकार बना ली. सपा की इस सरकार में बीएसपी के 11 मंत्री बनाए गए थे, लेकिन बसपा ने बाहर से ही सरकार को समर्थन दिया था.
मुलायम सिंह यादव की सरकार चल जरूर रही थी, लेकिन सियासी गलियारों में चर्चा होने लगी थी कि सपा-बसपा गठबंधन के बीच दरार आने लगी है. दरअसल, सपा-बसपा गठबंधन को मैनेज कर रहीं मायावती के भाजपा के साथ करीबी बढ़ाने और सरकार बनाने की बातें जोर पकड़ने लगी थीं. इसकी भनक लगते ही 23 मई 1995 को मुलायम सिंह यादव ने अस्पताल में भर्ती कांशीराम से बात करना चाही, लेकिन उन्होंने मना कर दिया.
2 जून 1995 को लखनऊ के मीराबाई स्टेट गेस्ट हाउस में मायावती बसपा के विधायकों के साथ मीटिंग कर रही थीं. समर्थन वापस लिए जाने से मुलायम सिंह यादव के समर्थकों का गुस्सा सातवें आसमान पर पहुंच चुका था. मायावती पर अजॉय बोस की किताब ‘बहन जी’ के अनुसार, जातिसूचक गालियां देते हुए सैकड़ों की संख्या में सपा के कार्यकर्ता और विधायक गेस्ट हाउस में जबरन घुस आए. उन्मादी भीड़ को देख मुख्य द्वार बंद कर दिया गया. जिसे तोड़ भीड़ अंदर घुस आई और बसपा विधायकों को मारने-पीटने के साथ घसीट कर ले जाने लगी. भीड़ ने गेस्ट हाउस का बिजली-पानी तक काट दिया था.
देर रात जब गेस्ट हाउस में भारी पुलिस फोर्स पहुंच गई और माहौल पूरी तरह से शांत हो गया, तब मायावती को बाहर निकाला गया. मायावती ने अपनी आत्मकथा ‘मेरा संघर्षमय जीवन एवं बहुजन समाज मूवमेंट का सफरनामा’ में लिखा है कि ‘मुलायम सिंह का आपराधिक चरित्र उस समय सामने आया, जब उन्होंने स्टेट गेस्ट हाउस में मुझे मरवाने की कोशिश करवाई. उन्होंने अपने बाहुबल का इस्तेमाल करते हुए न सिर्फ हमारे विधायकों का अपहरण करने की कोशिश की, बल्कि मुझे मारने का भी प्रयास किया.’ इस घटना के अगले दिन भाजपा, कांग्रेस, जनता दल और कम्युनिस्ट पार्टी के समर्थन से मायावती उत्तर प्रदेश की पहली दलित महिला मुख्यमंत्री बन गईं.