शिमला, 30 अगस्त 2024
हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने राज्य की गंभीर आर्थिक स्थिति से निपटने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। मुख्यमंत्री सुक्खू ने घोषणा की है कि वह स्वयं, उनके मंत्रीमंडल के सभी सदस्य, और मुख्य संसदीय सचिव अगले दो महीनों तक अपना वेतन नहीं लेंगे। यह निर्णय राज्य की आर्थिक स्थिति के मद्देनजर लिया गया है, जिसमें मुख्यमंत्री और उनके सहयोगियों ने राज्य की वित्तीय समस्याओं को साझा करने का संकल्प किया है।
मुख्यमंत्री सुक्खू ने राज्य की वित्तीय चुनौतियों का विस्तार से जिक्र करते हुए कहा कि राजस्व घाटा अनुदान (Revenue Deficit Grant) साल 2023-24 में 8,058 करोड़ रुपये थी, लेकिन अब इस साल इसे 1,800 करोड़ रुपये घटाकर 6,258 करोड़ रुपये कर दिया गया है। अगले वर्ष (2025-26) में इसमें 3,000 करोड़ रुपये की और कमी की संभावना है, जिससे यह केवल 3,257 करोड़ रुपये रह जाएगी। इसके साथ ही, पीडीएनए की लगभग 9,042 करोड़ रुपये की राशि में से अब तक केंद्र सरकार की ओर से कोई धनराशि जारी नहीं की गई है।
मुख्यमंत्री ने यह भी बताया कि एनपीएस (New Pension Scheme) के लगभग 9,200 करोड़ रुपये केंद्र सरकार के पास फंसे हुए हैं, और इस राशि को प्राप्त करने के लिए राज्य सरकार कई बार केंद्र से अनुरोध कर चुकी है। साथ ही, जीएसटी मुआवजा जून 2022 के बाद से बंद कर दिया गया है, जिससे हिमाचल प्रदेश की सालाना आय में लगभग 2,500 से 3,000 करोड़ रुपये की कमी आई है।
ओल्ड पेंशन योजना (OPS) को बहाल करने के कारण राज्य की कर्ज लेने की सीमा में भी 2,000 करोड़ रुपये की कमी आई है, जिससे मौजूदा आर्थिक संकट का समाधान निकालना और भी कठिन हो गया है। मुख्यमंत्री ने कहा कि इन सभी चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए, प्रदेश सरकार की आय बढ़ाने और गैर-जरूरी खर्चों को कम करने के प्रयास किए जा रहे हैं।
मुख्यमंत्री सुक्खू ने विधानसभा सत्र के दौरान कहा, “प्रदेश की विषम वित्तीय परिस्थिति को देखते हुए, मैं अपने मंत्रीमंडल के सदस्यों और मुख्य संसदीय सचिवों के साथ अपने वेतन और भत्तों को दो महीने तक नहीं लेने का निर्णय करता हूं। इसके अतिरिक्त, मैं आप सभी माननीय सदस्यों से भी अनुरोध करता हूं कि वे स्वेच्छा से अपने वेतन और भत्तों को विलम्बित करें।”
इससे पहले, मुख्यमंत्री के आईटी सलाहकार गोकुल बुटैल ने भी मात्र 1 रुपये सैलरी लेने का ऐलान किया था। उन्होंने अपनी ढाई लाख रुपये की सैलरी छोड़ने की घोषणा की थी। यह भी उल्लेखनीय है कि हिमाचल प्रदेश पर वर्तमान में 90,000 करोड़ रुपये का कर्ज है, साथ ही 10,000 करोड़ रुपये की सरकारी कर्मचारियों की देनदारियां हैं।