Uttar Pradesh

अंतर्राष्ट्रीय भोजपुरी संगोष्ठी का आयोजन 29 दिसंबर को गोरखपुर विश्वविद्यालय में

हरेन्द्र दुबे

गोरखपुर , 27 दिसम्बर 2024:

भोजपुरी भाषा और संस्कृति के संरक्षण एवं संवर्धन के लिए सतत प्रयासरत अंतर्राष्ट्रीय संस्था भोजपुरी एसोसिएशन ऑफ इंडिया (भाई) और दीन दयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय के अंग्रेजी विभाग के संयुक्त तत्वावधान में 29 दिसंबर 2024 को एक दिवसीय “अंतर्राष्ट्रीय भोजपुरी संगोष्ठी” का आयोजन किया जा रहा है। यह संगोष्ठी “भोजपुरी साहित्य एवं देशज आधुनिकता” विषय पर संवाद भवन, गोरखपुर विश्वविद्यालय में आयोजित होगी, जिसमें देश-विदेश से विद्वान और विशेषज्ञ शामिल होंगे।

राष्ट्रीय शिक्षा नीति के संदर्भ में इस संगोष्ठी का उद्देश्य क्षेत्रीय भाषाओं, विविधता, सांस्कृतिक पहचान और उनके संरक्षण की महत्ता को रेखांकित करना है। इसके तहत अंग्रेजी और भोजपुरी साहित्य के अंतर्संबंधों पर भी विशेष चर्चा होगी, जिससे वैश्विक स्तर पर भाषा और संस्कृति के अध्ययन को नए दृष्टिकोण मिल सकें।

इस आयोजन के लिए अंग्रेजी विभाग के अध्यक्ष प्रो. अजय कुमार शुक्ल और “भाई” के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. राकेश श्रीवास्तव ने कुलपति प्रो. पूनम टंडन को औपचारिक निमंत्रण दिया। कुलपति ने इस पहल की सराहना करते हुए आयोजकों को बधाई दी।

संगोष्ठी के संयोजकों ने बताया कि कार्यक्रम की मुख्य अतिथि डॉ. सरिता बुधु (पूर्व अध्यक्ष, भोजपुरी स्पीकिंग यूनियन, मॉरीशस) होंगी और अध्यक्षता कुलपति प्रो. पूनम टंडन करेंगी। इस संगोष्ठी में अनेक ख्यातिप्राप्त विद्वान, जैसे अखिल भारतीय भोजपुरी सम्मेलन के अध्यक्ष बृज भूषण मिश्र, प्रो. जय कांत सिंह “जय” (मुजफ्फरपुर), मनोज भाऊक, केशव मोहन पांडेय, जलज अनुपम (दिल्ली), गोपाल ठाकुर (नेपाल), प्रो. राम नारायण त्रिपाठी (गाजीपुर), प्रो. प्रभाकर सिंह (बीएचयू), और अन्य वक्ता अपने विचार प्रस्तुत करेंगे।

सांस्कृतिक सत्र के अंतर्गत सायं 7 बजे पारंपरिक संस्कार गीतों की प्रस्तुति के साथ भिखारी ठाकुर कृत “विदेशिया” का नाट्य मंचन किया जाएगा, जिसका निर्देशन मानवेंद्र त्रिपाठी करेंगे। इस अवसर पर भोजपुरी साहित्य और संस्कृति में उत्कृष्ट योगदान देने वाले व्यक्तित्व को “माटी के लाल” सम्मान से भी नवाजा जाएगा।

यह संगोष्ठी भोजपुरी भाषा की साहित्यिक महत्ता, सांस्कृतिक धरोहर और इसकी वैश्विक प्रासंगिकता पर गहन विमर्श का अवसर प्रदान करेगी। साथ ही, यह अंग्रेजी साहित्य के वैश्विक दृष्टिकोण से भोजपुरी भाषा और प्रवासी संस्कृति के बीच संवाद का सशक्त मंच बनेगी।

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