जय भीम-जय भीम… सड़कों पर लगे ‘सुप्रीम कोर्ट होश में आओ’ के नारे!

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नई दिल्ली, 22 अगस्त

दलित और आदिवासी संगठनों ने हाशिए पर पड़े समुदायों के लिए मजबूत प्रतिनिधित्व और सुरक्षा की मांग को लेकर आज ‘भारत बंद’ का आह्वान किया है। भारत बंद का बसपा, आरजेडी और चंद्रशेखर आजाद की आजाद समाज पार्टी समेत कई दलों ने समर्थन किया है। सुबह से ही भीम सेना और उसके बंद का समर्थन करने वाले राजनीतिक दलों एवं संगठनों ने प्रदर्शन किया। एससी-एसटी वर्ग के लोगों ने सड़क पर उतरकर अपना विरोध दर्ज कराया। जमकर सरकार और सुप्रीम कोर्ट के खिलाफ नारेबाजी की। कहा कि सुप्रीम कोर्ट को एससी-एसटी के वर्गीकरण से संबंधित अपना फैसला वापस लेना होगा। भारत बंद का सबसे ज्यादा प्रभाव इसका बिहार और राजस्थान में दिख रहा है, जहां पर संगठनों ने जुड़े लोगों ने हाईवे ब्लॉक करने से लेकर ट्रेनें तक रोक गई हैं। पटना में इतना बवाल हुआ कि पुलिस ने लाठीचार्ज कर दी। पटना के डाक बंगला चौराहे पर पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को दौड़ा-दौड़ाकर पीटा। उधर, बिहार के नवादा से लेकर अरवल तक बाजारें बंद हैं और एनएच को जाम कर दिया गया है।

पड़ोसी राज्य झारखंड़ में भी भारत बंद का असर दिखाई पड़ा रहा है। गिरिडीह में इसका व्यापाक असर दिखाई पड़ रहा है। यहां से सत्ताधारी दल झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के कार्यकर्ता सुबह से भारत बंद के समर्थन में सड़कों पर उतकर दुकानें बंद करवाने और यातायात बाधित कर रहे हैं। इससे आने जाने वाले यात्रियों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।

राजधानी लखनऊ सहित पूरे प्रदेश में अभी तक भारत बंद का कोई असर नहीं दिखाई पड़ा है। लखनऊ में या उसके पास आस जिलों में कहीं भी कोई विरोध प्रदर्शन और सड़कें बाधित होने की खबरें नहीं आई है, जबकि देश की राजधानी दिल्ली पूरी तरह खुली हुई है। यहां पर किसी भी प्रकार की बंदी नहीं दिख रही है। सारे कारोबार और प्रतिष्ठान खुले हुए हैं। यातायात सुचारू रूप से चल रहा है। स्कूल और कॉलेज खुले हुए हैं।

क्यों भारत बंद

बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने पिछले दिनों एक फैसला सुनाया था, जिसमें कहा गया था कि सभी SC-ST जातियां और जनजातियां समान वर्ग नहीं हैं। कई जातियां ज्यादा पिछड़ी हो सकती हैं। इसके लिए अदालत ने सीवर की सफाई करने वाले और बुनकर का काम करने वालों का उदाहरण दिया था। उन्होंने कहा कि ये दोनों ही जातियां SC कैटेगरी में आती हैं। इस जाति से आने वाले लोग बाकी लोगों से ज्यादा पिछड़े हैं।

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