खनखनाती चूड़ियाँ और भारत की अर्थव्यवस्था ।

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फ़िरोज़ाबाद, 22 अगस्त

उत्तरप्रदेश के फ़िरोज़ाबाद की चूड़ियों की खनखनाहट विदेशों में भी ।

भारत में चूड़ी किसी भी महिला का प्रथम श्रृंगार है । चूड़ी के बिना श्रृंगार अधूरा । धर्म से परे भारत के हर समुदाय में प्रिय है हाथों की चूड़ियाँ । साजन के लिए सजनी के प्रेम की कूक होती है हाथों की चूड़ियाँ । प्रेयसी के हाथों की चूड़ियों की खनखनाहट की आवाज प्रेमी के लिए आगमन का इशारा होता है जिसकी आवाज से वो खिंचा चला आता है ।

क्या आपको पता है कि भारत के इतिहास में चूड़ियों का जुड़ाव कब से है ? यह आश्चर्य की बात नहीं है कि चूड़ियों की पहली खोज 5000 साल पहले मोहनजो-दारो में हुई थी? यह आभूषणों का एक पारंपरिक टुकड़ा है जिसे ज्यादातर महिलाएं दोनों कलाइयों पर पहनती हैं। चूड़ियाँ पहनना आज भी एक फैशन है। चूड़ियाँ सभी आकारों में बनाई जाती हैं और सोने, चांदी, तांबे और कांच से बनी होती हैं। पिघले हुए कांच को पतली नलियों में खींचा जाता है, कोयले में गर्म किया जाता है और बाद में एक डिज़ाइन और गोल आकार देने के लिए ठंडा किया जाता है। आग में तपती है तब जाकर खनकती हुई खूबसूरत रंग-बिरंगी चूड़ियाँ तैयार होती हैं ।

उत्तर प्रदेश में फिरोजाबाद को आगरा के पास भारत के ग्लास सिटी के रूप में जाना जाता है। दुल्हनें पारंपरिक रूप से हाथीदांत और लाल रंग की चूड़ियाँ पहनती हैं। दुल्हन के लिए चूड़ियाँ उसके दुल्हन के पहनावे को पूरा करने के लिए सबसे महत्वपूर्ण सामान हैं। कुछ इसे बाजू या बाजूबंद के रूप में पहनती हैं जो हाथ के बाइसेप्स पर पहनी जाती है।

भारत एक बहुसांस्कृतिक देश है, और महिलाएँ अवसर के अनुसार सोने या चांदी की चूड़ियाँ पहनती हैं । यह एक ऐसा फैशन है जो उनकी शोभा बढ़ाता है।

भारत में चूड़ियां सुहाग की निशानी मानी जाती हैं । फिरोजाबाद को ‘सिटी ऑफ बैंगल्स’ के नाम से जाना जाता है । यूं तो पूरे शहर में चूड़ियों का कारोबार होता है, लेकिन यहां एक मार्केट ऐसी है, जो सिफ चूड़ियों के लिए ही जानी जाती है । फिरोजाबाद शहर के बीचोबीच घंटाघर के पास बोहरान गली देश की सबसे बड़ी चूड़ी मार्केट है ।मार्केट में चूड़ियों की बहुत सारी डिजाइन मौजूद हैं जो सीजन के हिसाब से बिकती हैं । इस बाजार में सस्ती से सस्ती और महंगी से महंगी चूड़ियां मिलती हैं । बड़े-बड़े शोरूम और दुकानों के मुकाबले यहां बहुत सस्ते दामों में चूड़ियां मिलती हैं । इस मार्केट में चूड़ियों की सबसे ज़्यादा डिजाइन उपलब्ध हैं जो 15 रुपये में दो दर्जन से शुरुआत होती है । यहां 150 रुपये में दो दर्जन तक चूड़ी बिकती हैं । वहीं चूड़ियों का 3 सेट और 9 सेट के हिसाब से भी आप अपनी मनपसंद चूड़ियाँ ख़रीद सकते हैं जो मार्केट में 300 रुपये से लेकर 3000 रुपये तक में उपलब्ध है ।

हालाँकि फ़िरोज़ाबाद का चूड़ी मार्केट करोड़ों का है । इन चूड़ियों की विदेश में भी खूब डिमांड है । बावजूद इसके फिरोजाबाद ग्लास उद्योग को सुधार की गुहार लगाता रहा है। सच है कि सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्रालय (एमएसएमई) के तहत इस उद्योग को पुनरुद्धार की ज़रूरत है। अंतर्राष्ट्रीय व्यापार के रूप में उत्तर प्रदेश फ़िरोज़ाबाद की चूड़ियों को जर्मनी सहित कई देशों को निर्यात करता है।

यही नहीं भारत में चूड़ियों का बाज़ार बड़ा होता जा रहा है । भारत के चूड़ियों की डिमांड विदेशों में भी खूब हो रही है । बिहार और जयपुर की लाख की चूड़ियों कई देशों में निर्यात की जा रही हैं । 250 साल पुराना लाख चूड़ी उद्योग मुख्य रूप से अब तक असंगठित था । इसलिए, इसके बाजार आकार पर कोई आधिकारिक डेटा उपलब्ध नहीं पता था। लेकिन सरकार की लघु उद्योग पॉलिसी के तहत अब इसे एक संगठित रूप दे दिया गया है और व्यापार और बाज़ार के अनुमान बताते हैं कि अकेले जयपुर का लाख चूड़ी उद्योग लगभग 75-80 करोड़ रुपये का है। जयपुर में 500 से अधिक व्यापारी इस व्यवसाय से जुड़े हुए हैं जबकि 20,000 कारीगर प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से जुड़े हुए हैं।

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