मध्यप्रदेश की जेलें अब ‘सुधार संस्थान’ कहलाएंगी; दशकों पुराने जेल अधिनियम को नई तकनीकों और जरूरतों के अनुसार अपडेट किया गया

thehohalla
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भोपाल, 2 सितम्बर

मध्यप्रदेश सरकार गांधी जयंती (2 अक्टूबर) से एक महत्वपूर्ण बदलाव की शुरुआत करने जा रही है। इसके तहत, राज्य की जेलों को ‘सुधार संस्थान’ के रूप में पुनः नामित किया जाएगा और जेल अधिकारियों को ‘सेवा अधिकारी’ कहा जाएगा। यह बदलाव दशकों पुराने जेल अधिनियम को आधुनिक समय की आवश्यकताओं के अनुसार अपडेट करने के उद्देश्य से किया गया है। इस नई पहल का लक्ष्य कैदियों के सुधार, शिक्षा, और आध्यात्मिक विकास पर विशेष ध्यान देना है, ताकि वे अपनी सजा पूरी करने के बाद समाज में सकारात्मक योगदान दे सकें।


नया अधिनियम और उसकी विशेषताएं
गांधी जयंती के अवसर पर राज्य में ‘एमपी सुधारात्मक सेवाएं एवं बंदीगृह अधिनियम, 2024’ लागू किया जाएगा। यह अधिनियम केंद्र सरकार के ‘मॉडल कारागार अधिनियम, 2023’ की तर्ज पर तैयार किया गया है। इसके तहत केंद्रीय जेल, जिला जेल, उप-जेल और खुली जेल को क्रमशः ‘केंद्रीय जेल और सुधार संस्थान’, ‘जिला जेल और सुधार संस्थान’, ‘उप-कारागार और सुधार संस्थान’, और ‘खुला सुधार संस्थान’ कहा जाएगा।


तकनीकी सुधार और कम्प्यूटरीकरण
सरकार ने जेल और सुधार संस्थानों के प्रभावी मैनेजमेंट और कैदियों की सुरक्षा के लिए नई तकनीक अपनाने की तैयारी की है। यह कदम जेल और सुधारात्मक संस्थान प्रशासन को कम्प्यूटराइज्ड करने और डेटाबेस को केंद्र सरकार के कम्प्यूटराइज्ड सिस्टम के साथ इंटीग्रेट करने की दिशा में उठाया गया है। इसके अलावा, सरकार इन सुधार ग्रहों में प्रतिबंधित वायरलेस और अन्य बैन इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों का पता लगाने और उनके उपयोग पर रोक लगाने के लिए मॉडर्न टेक्निक का उपयोग करेगी।
जेल कर्मचारियों की ट्रेनिंग और कैदियों की देखभाल
नया अधिनियम जेलों में भीड़भाड़ को कम करने, अपराधियों की मनोविज्ञान को समझने और अपराधियों से बेहतर तरीके से निपटने के लिए जेल कर्मचारियों को प्रशिक्षित करने पर भी ध्यान केंद्रित करेगा।


नई जेलों का प्रस्ताव
प्रदेश की 132 जेलों में लगभग 50,000 कैदी हैं, जबकि उनकी क्षमता सिर्फ 35,000 कैदियों की है। भीड़भाड़ से निपटने के लिए, बैतूल, दमोह, छतरपुर, सागर, भिंड, मंदसौर, और रतलाम में नई जेलों का प्रस्ताव किया गया है। अधिकारियों के अनुसार, केंद्रीय गृह मंत्रालय ने जेल अधिनियम, कैदी अधिनियम, और कैदी स्थानांतरण अधिनियम की समीक्षा की है, और इन अधिनियमों के प्रावधानों को मॉडल कारागार अधिनियम, 2023 में समाहित किया गया है।
इस पहल के माध्यम से, मध्यप्रदेश सरकार न केवल कैदियों के सुधार के लिए प्रतिबद्ध है, बल्कि समाज में कानून और व्यवस्था बनाए रखने के लिए भी सक्रिय कदम उठा रही है।

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