लखनऊ, 5 मई 2025:
इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी की नागरिकता को चुनौती देने वाली याचिका को निस्तारित कर दिया है। यह फैसला न्यायमूर्ति एआर मसूदी और न्यायमूर्ति राजीव सिंह की खंडपीठ ने सुनाया। कोर्ट ने याचिकाकर्ता को अन्य वैकल्पिक कानूनी उपाय अपनाने की छूट देते हुए याचिका खारिज कर दी।
खंडपीठ ने अपने निर्णय में कहा कि केंद्र सरकार याची की शिकायत के निपटारे की कोई स्पष्ट समय सीमा नहीं बता पा रही है। ऐसे में याचिका को लंबित रखने का कोई औचित्य नहीं बनता। इससे पहले कोर्ट ने केंद्र सरकार को निर्देश दिया था कि वह 10 दिनों के भीतर यह स्पष्ट करे कि राहुल गांधी भारतीय नागरिक हैं या ब्रिटिश। सोमवार को यह समय सीमा समाप्त होने के बाद मामले की सुनवाई हुई।
कोर्ट की सख्त टिप्पणी
गत 21 अप्रैल को हुई सुनवाई में केंद्र की ओर से एडिशनल सॉलिसिटर जनरल सूर्यभान पांडेय ने स्थिति रिपोर्ट पेश की थी, जिसे कोर्ट ने अपर्याप्त मानते हुए कड़ी टिप्पणी की थी। कोर्ट ने कहा था, “यह मामला राष्ट्रीय महत्व का है, इसमें देरी स्वीकार नहीं की जा सकती।” सुनवाई के दौरान राहुल गांधी की ओर से कोई अधिवक्ता अदालत में उपस्थित नहीं हुआ, जिससे कोर्ट ने हैरानी जताई।
क्या था याचिका में दावा
कर्नाटक निवासी एस विग्नेश शिशिर ने याचिका में दावा किया था कि राहुल गांधी ने ब्रिटेन की एक कंपनी में डायरेक्टर रहते हुए खुद को ब्रिटिश नागरिक बताया था। याची ने चुनाव आयोग के दिशा-निर्देशों का हवाला देते हुए कहा था कि दोहरी नागरिकता रखने वाला व्यक्ति भारत में चुनाव लड़ने के लिए पात्र नहीं है।