
अमित मिश्रा
महाकुंभ नगर, 13 जनवरी 2025
गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती के संगम तट पर विश्व के इस सबसे बड़े मेले महाकुंभ 2025 का शुभारंभ हो गया है। हर दिन नई-नई रोचक घटनाएं देखने को मिल रही हैं।
भारतीय संस्कृति और आस्था के इस महासंगम में न केवल देशवासियों बल्कि विदेशी श्रद्धालुओं का भी तांता लगा हुआ है। इस बार विदेशी मेहमानों ने देसी जुगाड़ का ऐसा दिलचस्प तरीका अपनाया जिसने हर किसी का ध्यान खींच लिया।
संगम घाट पर दिखा विदेशी देसी जुगाड़
पौष पूर्णिमा स्नान के शुभ अवसर पर संगम क्षेत्र श्रद्धालुओं से खचाखच भरा हुआ था। भारी भीड़ और गाइड से बिछड़ने के डर के बीच विदेशी श्रद्धालुओं ने एक अनोखा और सरल उपाय निकाला। उन्होंने अपने समूह के हर सदस्य के हाथ में एक झंडा पकड़ा दिया। यह झंडे उन्होंने इतनी ऊंचाई पर रखा कि वे भीड़ में आसानी से एक-दूसरे को पहचान सकें।
झंडे के सहारे वे संगम घाट तक पहुंचे, स्नान किया और फिर उसी जुगाड़ से सुरक्षित लौट भी आए। उनके इस देसी जुगाड़ ने सभी को हैरान कर दिया। स्थानीय लोग और अन्य श्रद्धालु उनके इस अनोखे उपाय को देखकर मुस्कुराए बिना नहीं रह सके।
विदेशियों की भारतीय संस्कृति के प्रति श्रद्धा
महाकुंभ केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि यह एक ऐसा मंच है जहां संस्कृतियां आपस में घुल-मिल जाती हैं। विदेशी श्रद्धालुओं का झंडा पकड़कर संगम स्नान करना इस बात का प्रतीक है कि वे भारतीय परंपरा को न केवल समझ रहे हैं, बल्कि उसे आत्मसात भी कर रहे हैं।
उनकी इस सादगी और सूझबूझ ने यह संदेश दिया कि कभी-कभी सबसे साधारण उपाय ही सबसे उपयोगी साबित होते हैं। भीड़ में एक-दूसरे का साथ बनाए रखने का उनका यह तरीका हर किसी के लिए प्रेरणादायक था।
महाकुंभ: आस्था का महासंगम
महाकुंभ केवल भारत ही नहीं, बल्कि पूरे विश्व के लिए आस्था और संस्कृति का सबसे बड़ा आयोजन है। यहां हर दिन श्रद्धालु अपनी भक्ति और उत्साह से नई मिसाल पेश करते हैं। विदेशी मेहमानों का यह देसी अंदाज महाकुंभ के महत्व को और भी खास बनाता है।






