
लखनऊ, 10 अप्रैल 2025:
बसपा की राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं यूपी की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने गुरुवार को राजधानी लखनऊ से एक बयान जारी कर केंद्र सरकार पर गंभीर सवाल उठाए। उन्होंने नए वक्फ कानून में गैर-मुस्लिम सदस्यों को राज्य वक्फ बोर्डों में शामिल करने के प्रावधान को “अनुचित” करार दिया और मुस्लिम समाज में इसको लेकर व्याप्त विरोध का हवाला दिया।
मायावती ने कहा कि अगर केंद्र सरकार विवादित प्रावधानों पर पुनर्विचार करते हुए वक्फ कानून को फिलहाल स्थगित कर दें, तो यह एक उचित कदम होगा।
इसके साथ ही बसपा सुप्रीमो ने बोधगया मंदिर प्रबंधन से जुड़े पुराने कानून को भी अनुचित और भेदभावपूर्ण बताया। उन्होंने कहा कि आजादी के बाद कांग्रेस सरकार ने बिहार में जो कानून बनाया था, उसके तहत जिला मजिस्ट्रेट की अध्यक्षता में चार हिंदू और चार बौद्ध अनुयायियों की समिति बनाई गई थी। मायावती के अनुसार इस प्रावधान से देश-विदेश के बौद्ध भिक्षुओं और अनुयायियों में गहरा आक्रोश है और वे लंबे समय से इसमें बदलाव की मांग कर रहे हैं।
उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार की “अनावश्यक दखलअंदाजी” के चलते महाबोधि मंदिर में पूजा-पाठ, देखरेख और तीर्थ यात्रियों की सुविधाओं को लेकर स्थिति असहज और तनावपूर्ण बनी हुई है। मायावती ने केंद्र और बिहार की एनडीए सरकार से मांग की कि महाबोधि मंदिर की पूरी जिम्मेदारी बौद्ध भिक्षुओं और अनुयायियों को सौंपी जाए।
डॉ. अंबेडकर को लेकर कांग्रेस, भाजपा और अन्य पार्टियों पर निशाना साधते हुए मायावती ने कहा कि ये दल उनके जन्मदिन के मौके पर केवल वोटबैंक की राजनीति करते हैं। उन्होंने अपने समर्थकों से अपील की कि वे बहकावे में न आएं और बसपा के रास्ते पर ही चलें।