नई दिल्ली, 24 अक्टूबर 2024
16वें ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में पीएम मोदी-शी जिनपिंग की लगभग साढ़े चार साल बाद पहली मुलाकात हुई। बता दे कि पूर्वी लद्दाख में चीनी घुसपैठ के बाद से वास्तविक नियंत्रण रेखा पर सैन्य गतिरोध पैदा होने के बाद से बंद हुए द्विपक्षीय संबंधों को पुनर्जीवित करने के लिए पहला कदम दोनों देशों ने उठाते हुए एक नई शुरूआत की है, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने बुधवार को बातचीत की और कहा कि “सीमा पर शांति बनाए रखना हमारी प्राथमिकता होनी चाहिए” और “आपसी विश्वास, आपसी सम्मान और आपसी संवेदनशीलता हमारे संबंधों का आधार होना चाहिए”। जबकि मोदी और शी दोनों ने “मतभेदों और विवादों को ठीक से संभालने के पर जोर दिया”, वही चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने “संचार और सहयोग” का भी स्वागत किया और कहा कि “हमारे दोनों देशों के लोग और अंतर्राष्ट्रीय समुदाय हमारी बैठक पर भी ध्यान दे रहे हैं”। ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के मौके पर रूस के कज़ान में बैठक में, दोनों नेताओं ने एलएसी के साथ गश्त पर अपने देशों के बीच समझौते का स्वागत किया।
विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने कहा कि भारत-चीन सीमा के लिए विशेष प्रतिनिधि जल्द ही मिलेंगे – एनएसए अजीत डोभाल और चीनी राजनेता वांग यी आखिरी बार चीनी घुसपैठ से पहले दिसंबर महीनें 2019 में मिले थे। विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा, “द्विपक्षीय संबंधों को स्थिर करने और पुनर्निर्माण के लिए विदेश मंत्रियों और अन्य अधिकारियों के स्तर पर शुरूआती बातचीत के लिए कोशिश की जाएगी। वही प्रधानमंत्री मोदी ने अपने एक्स पर एक पोस्ट में कहा, “कज़ान ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के मौके पर राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मुलाकात की। भारत-चीन संबंध हमारे देशों के लोगों और क्षेत्रीय एवं वैश्विक शांति एवं स्थिरता के लिए महत्वपूर्ण हैं। आपसी विश्वास, आपसी सम्मान और आपसी संवेदनशीलता द्विपक्षीय संबंधों का मार्गदर्शन करेगी।”
क्या बोले प्रधानमत्री मोदी
बैठक की शुरुआत में मोदी ने कहा, ”हम सीमा पर हुए समझौतों का स्वागत करते हैं। सीमा पर शांति बनाए रखना हमारी प्राथमिकता रहनी चाहिए और आपसी विश्वास, आपसी सम्मान और आपसी संवेदनशीलता हमारे रिश्ते का आधार बनी रहनी चाहिए। मुझे विश्वास है कि हम खुले दिल से बातचीत करेंगे और हमारी चर्चा रचनात्मक होगी।”
चीनी राष्ट्रपति ने क्या कहा
चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने कहा, “श्रीमान प्रधान मंत्री, कज़ान में आपसे मिलना मेरे लिए बहुत खुशी की बात है। यह हमारे लिए पाँच वर्षों में औपचारिक बैठक करने का पहला अवसर है। हमारे दोनों देशों के लोग और अंतर्राष्ट्रीय समुदाय, दोनों ही हमारी बैठक पर बहुत ध्यान दे रहे हैं। चीन और भारत दोनों प्राचीन सभ्यताएँ, प्रमुख विकासशील देश और ग्लोबल साउथ के महत्वपूर्ण सदस्य हैं। हम दोनों अपने-अपने आधुनिकीकरण प्रयासों में एक महत्वपूर्ण चरण में हैं। “यह हमारे दोनों देशों के मूलभूत हितों की सर्वोत्तम सेवा करता है… दोनों पक्षों के लिए, इतिहास की प्रवृत्ति और हमारे द्विपक्षीय संबंधों की सही दिशा को बनाए रखने के लिए, दोनों देशों के लिए अधिक संचार और सहयोग करना, मतभेदों और असहमतियों को ठीक से संभालना महत्वपूर्ण है।” और एक-दूसरे की विकास संबंधी आकांक्षाओं को पूरा करने में सहायता प्रदान करना। दोनों देशों के लिए हमारी अंतरराष्ट्रीय जिम्मेदारी निभाना, विकासशील देशों की ताकत और एकता को बढ़ावा देने के लिए एक उदाहरण स्थापित करना और अंतरराष्ट्रीय संबंधों में बहु-ध्रुवीकरण और लोकतंत्र को बढ़ावा देने में योगदान देना भी महत्वपूर्ण है।