
रायबरेली,12 मार्च 2025
देशभर में जहां होली का त्योहार रंगों और खुशियों के साथ मनाया जाता है, वहीं उत्तर प्रदेश के रायबरेली जिले के डलमऊ क्षेत्र में 28 गांव ऐसे हैं, जहां होली के दिन शोक मनाने की परंपरा है। यह परंपरा करीब 700 साल पुरानी है और राजा डलदेव के बलिदान से जुड़ी हुई है। नगर पंचायत अध्यक्ष ब्रजेश दत्त गौड़ के अनुसार, 1321 ईस्वी में होली के दिन डलमऊ के राजा डलदेव अपने 200 सैनिकों के साथ जौनपुर के शासक शाह शर्की की सेना से लड़ते हुए वीरगति को प्राप्त हुए थे। इस युद्ध में राजा डलदेव के साथ उनके सभी सैनिक शहीद हो गए थे, जबकि शर्की की सेना के दो हजार से अधिक सैनिक मारे गए थे। राजा डलदेव के बलिदान की स्मृति में इन 28 गांवों के लोग होली के दिन रंगों से दूर रहते हैं और तीन दिनों तक शोक मनाते हैं।
युद्ध में राजा डलदेव के बलिदान की याद में यह परंपरा सदियों से चली आ रही है। डलमऊ के निवासियों के लिए होली केवल एक त्योहार नहीं, बल्कि अपने इतिहास और पूर्वजों की वीरता को याद करने का दिन भी है। हालांकि, होली के तीन दिन बाद इन गांवों में लोग रंगों का त्योहार मनाते हैं, लेकिन मुख्य होली के दिन वे रंग और गुलाल नहीं उड़ाते। यह अनूठी परंपरा डलमऊ की ऐतिहासिक विरासत को आज भी जीवंत बनाए हुए है और क्षेत्र के लोग अपने पूर्वजों के बलिदान को सम्मान देते हुए इस परंपरा का पालन करते आ रहे हैं।