अंशुल मौर्य
वाराणसी, 4 नवंबर 2024:
काशी के सबसे प्रमुख मेलों में से एक, तुलसी घाट पर होने वाले नागनथैया मेले की तैयारी इस बार वैज्ञानिक निगरानी में हो रही है। मेले से पहले, गंगा के जलस्तर की नियमित जाँच सूर्योदय से सूर्यास्त तक हर दो घंटे पर गोताखोरों द्वारा की जा रही है, ताकि जल प्रवाह की गति का सटीक आकलन किया जा सके।
फाफामऊ से काशी तक गंगा के जलस्तर की स्थिति पर केंद्रीय जल आयोग की साइट के माध्यम से निरंतर निगरानी रखी जा रही है।
पांच नवंबर को तुलसी घाट पर भगवान श्रीकृष्ण की नागनथैया लीला का आयोजन किया जाएगा। परंपरा के अनुसार, कार्तिक माह में तुलसी घाट पर होने वाले इस आयोजन में जलस्तर आमतौर पर तय सीमा में रहता है, लेकिन इस बार यह सामान्य से करीब दो फुट अधिक है। इसके कारण घाट किनारे की परिस्थितियां अभी तक लीला के लिए पूरी तरह अनुकूल नहीं हो पाई हैं।
लीला में भगवान श्रीकृष्ण कदंब की डाल पर खड़े होकर गंगा में छलांग लगाते हैं, और जल में मौजूद विशाल नाग के फन पर सवार होते हैं। इस दृश्य को जीवंत बनाने के लिए गोताखोर पहले से गंगा में तैनात रहते हैं और कृष्ण को नाग पर सुरक्षित उतारने की भूमिका निभाते हैं। इस वर्ष, गंगा के प्रवाह की गति को ध्यान में रखते हुए, गोताखोर जल के ऊपर और नीचे की धारा के बीच संतुलन बनाने का विशेष ध्यान रख रहे हैं, ताकि लीला निर्विघ्न रूप से संपन्न हो सके।
अखाड़ा गोस्वामी तुलसीदास के महंत, प्रो. विश्वम्भरनाथ मिश्र ने बताया कि नागनथैया की यह लीला और उसमें नाग को तैयार करने की प्राचीन कला विज्ञान के प्रयोग से भी संपन्न होती है। काशी में यह लीला जितनी पुरानी है, नाग को जल में तैराने की तकनीक भी उतनी ही ऐतिहासिक और अद्भुत है।