
हरेंद्र दुबे
गोरखपुर, 15 जून 2025:
यूपी के गोरखपुर जिले में देवरिया बाईपास रोड पर दस साल पूर्व लांच की गई आवासीय परियोजना ‘पाम पैराडाइज’ के मालिकानों के खिलाफ निवेशक मुखर हुए हैं। इनका आरोप है कि वो लोग किराए पर रह रहे है। अपना घर होने की उम्मीद से बैंक से कर्ज लेकर कंपनी को करोड़ों की रकम दी थी लेकिन पैसे लेकर भी रजिस्ट्री नहीं की जा रही है। आपस मे बंटवारे का विवाद बताकर हमें परेशान किया जा रहा है।

तीन सौ से अधिक निवेशक फ्लैट व भूखंड के लिए कंपनी को दे चुके हैं करोड़ों की रकम
इस कंपनी में निवेश करने वाले तमाम निवेशक गोरखपुर जर्नलिस्ट्स प्रेस क्लब आकर मीडिया से रूबरू हुए और अपनी पीड़ा बताई। पत्रकारों से अपना दर्द साझा करते हुए निवेशकों ने कहा कि उन्होंने बैंक से लोन लेकर करोड़ो रूपये फ्लैट, भूखंड का पैसा पाम पैराडाइज के मालिकानों को जमा किया लेकिन बिल्डर पार्टनर आपसी विवाद में रजिस्ट्री नहीं कर रहे हैं। उन्हें दोहरी मार झेलनी पड़ रही है। आवास का किराया भी देना पड़ रहा है और बैंक की किस्त भी देनी पड़ रही है। इस संबंध में सभी अधिकारियों से मुलाकात की जा चुकी है लेकिन कोई राहत नहीं मिली है।
पार्टनरों ने रकम बंटवारे का विवाद बताकर रोक रखी है रजिस्ट्री की प्रक्रिया
आरडब्ल्यूए के सचिव आलोक मोदी ने बताया कि इस परियोजना में 3 उद्यमी अतुल सराफ, विकास केजरीवाल और जगदीश आनंद पार्टनर है। कुछ समय तक सब कुछ ठीक रहा लेकिन पिछले लगभग 2 सालों से पार्टनरों के बीच रकम के बटवारे का विवाद बताकर रजिस्ट्री करना बंद कर दिया। निवेशकों ने कहा कि एक पार्टनर अतुल सराफ रजिस्ट्री के लिए सहमत हैं लेकिन अन्य दो पार्टनर रजिस्ट्री की लंबित फाइलों पर हस्ताक्षर नहीं कर रहे हैं। दोनों पार्टनर आपसी हिसाब-किताब फाइनल होने तक रजिस्ट्री न करने की बात कह रहे हैं।
राजनीतिक व प्रशासनिक दबाव बनाने वालों की हो रही रजिस्ट्री
निवेशकों ने आरोप लगाया कि उनसे यह कहा जा रहा है कि जब तक हिसाब- किताब नहीं होगा, तबतक रजिस्ट्री नहीं की जाएगी जबकि राजनीतिक या प्रशासनिक दबाव आने पर चुपचाप रजिस्ट्री कर दी जा रही है। उन्होंने कहा कि रजिस्ट्री न होने से राजस्व का नुकसान हो रहा है। निवेशकों ने पार्टनरों पर अभद्रता करने का आरोप भी लगाया है।
अलग-अलग सुर में बोले बिल्डर कंपनी के पार्टनर
इस मामले में बिल्डर कंपनी के पार्टनर अतुल सर्राफ का कहना है कि मैं पूरी तरह से निवेशकों के साथ हूं। मैं हस्ताक्षर करने को तैयार हूं। लेकिन हमारे दोनों पार्टनर अड़े हुए है जबकि तीनों लोगों के रजिस्ट्री पर हस्ताक्षर होना है फिर दोनों क्यों भाग रहे हैं यह समझ के परे है। दूसरे पार्टनर जगदीश आनंद ने बात करने से इंकार कर दिया। वहीं तीसरे पार्टनर विकास केजरीवाल ने दोबारा हुआ एमओयू दिखाकर बोले कि मामला मुख्यमंत्री के संज्ञान में है हम भी मिल चुके है और अतुल सर्राफ भी मिल चुके है लेकिन हमारे हिस्से का पैसा अतुल सर्राफ क्यों नहीं दे रहे है यह तो समझ के परे है यह मेरा वादा है निवेशकों का पैसा डूबने नहीं देंगे।






