वर्ष 2104 में सत्ता संभालने के बाद केंद्र ने पिछली कांग्रेस सरकार द्वारा उपेक्षित पूर्वोत्तर क्षेत्र के विकास के लिए एक नया रोडमैप तैयार करके उसे अमल में लाना शुरू किया।
पूर्वोत्तर की सात बहनों के नाम से जाने गए राज्यों में अरुणाचल प्रदेश, असम, मणिपुर, मिजोरम, मेघालय और त्रिपुरा हैं। कुछ साल पहले सिक्किम को सात राज्यों में शामिल किया गया था, लेकिन इसे भाई राज्य माना जाता है। सिक्किम एक पड़ोसी राज्य है जो सिलीगुड़ी कॉरिडोर द्वारा विभाजित है।
पीएम नरेंद्र मोदी पूर्वोत्तर को भारत की एक्ट ईस्ट नीति का एक महत्वपूर्ण पहलू माना और 50 से अधिक बार पूर्वोत्तर का दौरा किया।
पूर्वोत्तर की विकास यात्रा में एक महत्वपूर्ण पड़ाव के रूप में उन्होंने पूर्वोत्तर क्षेत्र के लिए 100 प्रतिशत केंद्र-पोषित प्रधानमंत्री विकास पहल (पीएम-डिवाइन) नाम से नई योजना शुरू जिसकी घोषणा केंद्रीय बजट 2023 में की गई थी। इस योजना के उद्देश्यों को ध्यान में रखते हुए, बजट 2022-23 में घोषित सात परियोजनाओं सहित 1503.44 करोड़ रुपये की राशि वाली ग्यारह परियोजनाओं को वित्त वर्ष 2022-23 में मंजूरी के लिए चुना गया और 121.10 करोड़ रुपये की राशि वितरित की गई।
इसका प्रमुख उद्देश्य था :
1.पीएम गति शक्ति की भावना में बुनियादी ढांचे को एकीकृत रूप से वित्तपोषित करना।
2.पूर्वोत्तर की जरूरतों के आधार पर सामाजिक विकास परियोजनाओं का समर्थन करना।
3.युवाओं और महिलाओं के लिए आजीविका के साधन विकसित करना।
4.विभिन्न क्षेत्रों में विकास की असमानता दूर करना
केंद्र सरकार की अपेक्षा है कि ‘पीएम-डिवाइन’ के माध्यम से विकास योजनाओं के बारे में पारदर्शिता हो और लक्षित लाभार्थियों तक पहुंच होनी चाहिए।
इस योजना के तहत स्वीकृत परियोजनाओं को साल 2025-26 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है। इस योजना के तहत कुछ परियोजनाएं ये हैं:
असम के शिवसागर ज़िले में मेडिकल कॉलेज बनाना,
गुवाहाटी में मां कामाख्या एक्सेस कॉरिडोर का विकास ,
न्यू शिलांग टाउनशिप में नई चार लेन वाली सड़क बनाना और
पश्चिम सिक्किम में पेलिंग से सांगा-चोलिंग तक यात्री रोपवे प्रणाली के लिए वित्त पोषण।
पूर्वोत्तर राज्यों का विकास और उन्हें देश के विकास में समाहित करने की यह पहल निर्विवाद रूप से मौजूदा केंद्र सरकार की मुख्य उपलब्धियों में से एक होगी।