
प्रयागराज,3 दिसंबर 2024
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि एक राज्य के लिए दी गई पावर ऑफ अटॉर्नी के आधार पर दूसरे राज्य में मुकदमे की पैरवी नहीं की जा सकती। कोर्ट ने बसपा सरकार के पूर्व एमएलसी इकबाल उर्फ बाला की याचिका इसी आधार पर खारिज कर दी। इकबाल ने अपने परिचित तनसीफ को पावर ऑफ अटॉर्नी दी थी, ताकि वह उनके मुकदमों की पैरवी कर सके, क्योंकि इकबाल व्यवसाय के सिलसिले में देश से बाहर हैं। कोर्ट ने पाया कि यह पावर ऑफ अटॉर्नी केवल दिल्ली की अदालतों और सुप्रीम कोर्ट में लंबित मुकदमों के लिए दी गई थी, जिससे इलाहाबाद हाई कोर्ट में पैरवी करना संभव नहीं है।
न्यायमूर्ति अरुण सिंह देशवाल की पीठ ने प्रदेश सरकार की ओर से अपर महाधिवक्ता मनीष गोयल और अपर शासकीय अधिवक्ता की दलीलें स्वीकार करते हुए कहा कि इस पावर ऑफ अटॉर्नी का दुरुपयोग किया गया है। इससे पहले भी इसी आधार पर इकबाल की याचिका खारिज की जा चुकी थी। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि गैरराज्य के लिए दी गई पावर ऑफ अटॉर्नी पर मुकदमे की पैरवी पोषणीय नहीं है।