Uttar Pradesh

सोनिया-राहुल के खिलाफ चार्जशीट को लेकर प्रमोद तिवारी का भाजपा पर तीखा हमला

लखनऊ, 16 अप्रैल 2025:

नेशनल हेराल्ड केस में कांग्रेस नेता सोनिया गांधी, राहुल गांधी और अन्य के खिलाफ चार्जशीट दाखिल होने के बाद कांग्रेस ने भाजपा पर तीखा हमला बोला है। बुधवार को लखनऊ में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में राज्यसभा सांसद और वरिष्ठ कांग्रेस नेता प्रमोद तिवारी ने केंद्र सरकार पर राजनीतिक प्रतिशोध का आरोप लगाया।

बोले… राजनीतिक प्रताड़ना से डरने वाली नहीं कांग्रेस पार्टी

उन्होंने ने कहा कि कांग्रेस पार्टी इस तरह की राजनीतिक प्रताड़ना से डरने वाली नहीं है। भाजपा की “पूंजीपतियों से साठगांठ और नफरत की राजनीति” का डटकर विरोध करेगी। प्रमोद तिवारी ने कहा कि यंग इंडिया एक “नॉट फॉर प्रॉफिट” कंपनी है, जिससे किसी भी शेयरहोल्डर को मुनाफा, डिविडेंड या वेतन नहीं मिलता। इसके चार शेयरहोल्डर हैं – सोनिया गांधी, राहुल गांधी, ऑस्कर फर्नांडिस और मोतीलाल वोरा। उन्होंने स्पष्ट किया कि यंग इंडिया ने एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड (AJL) का टेकओवर नहीं किया, बल्कि AJL के 700 शेयरहोल्डरों की सहमति से ही कर्ज को शेयरों में बदला गया, जिससे यंग इंडिया भी एक शेयरहोल्डर बन गई।

उन्होंने यह भी कहा कि AJL की संपत्तियों और आय का स्वामित्व अभी भी AJL के पास ही है, न कि यंग इंडिया या उसके शेयरहोल्डरों के पास। किराए की सारी आय भी AJL को ही जाती है। तिवारी ने यह दावा भी खारिज किया कि AJL के पास 5000 करोड़ रुपये की संपत्ति है। उनके अनुसार, इनकम टैक्स विभाग ने AJL की संपत्तियों का मूल्यांकन सिर्फ 359 करोड़ रुपये बताया है।

प्रमोद तिवारी ने याद दिलाया कि यह मामला 2013 में सुब्रमण्यम स्वामी द्वारा कोर्ट में उठाया गया था और 2020 तक वे इसे लड़ते रहे। इसके बाद जब स्वामी ने मोदी-शाह के खिलाफ बोलना शुरू किया, तो सरकार ने खुद ही एक नया मामला दर्ज कर दिया।

उन्होंने आरोप लगाया कि 2023 में प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने अस्थायी जब्ती आदेश (Provisional Attachment Order) जारी किया, जिसे 10 अप्रैल 2024 को ट्रिब्यूनल ने मंजूरी दी। इसके बाद ED को 365 दिनों में चार्जशीट दाखिल करनी थी, लेकिन उन्होंने समयसीमा के एक दिन बाद यानी 9 अप्रैल 2025 को “फर्जी चार्जशीट” दायर की, जिसे अब सार्वजनिक किया गया है। कांग्रेस नेता ने कहा कि अगर सरकार के पास पुख्ता सबूत होते तो वह पूरे 365 दिन इंतजार न करती। उन्होंने इसे केंद्र सरकार की “बौखलाहट, मानसिक और नैतिक दिवालियापन” करार दिया।

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