वाराणसी 16 अगस्त, 2024
वाराणसी। रक्षाबंधन का त्योहार भाई-बहन के बीच अटूट प्रेम और पावन रिश्ते को दिखाता है। इस दिन बहनें अपने भाइयों की कलाई पर राखी बांधती हैं। लेकिन सरहद पर अपने घर से बहुत दूर तैनात जांबाज जवानों को राखी कौन बांधता होगा? क्योंकि ये जवान अपनी बहनों से तो मिल नहीं पाते हैं। इन्हीं खटकते सवालों के बीच जवानों की कलाई राखी के दिन सूनी ना रहे उसके लिए काशी की मुस्लिम बेटियों ने अनूठी पहल की है। करीब पांच सौ राखियां इन बेटियों ने सरहद के जांबाजों के लिए भेजी है। काशी की बेटियां के हाथों से बनी राखी सीमा पर तैनात जवानों की कलाई पर सजेगी इसके लिए वे काफी उत्साहित हैं। एक भी जवानों की कलाई सूनी नहीं रहे, इस संकल्प के साथ छात्राएं राखी बनाकर सीमा पर तैनात जवानों के भेजी है।
वेदपाठी मुस्लिम छात्राओं ने तैयार की है रक्षासूत्र
सरहद के जांबाजों के लिए समुदाय के दायरे को पार कर सुंदरपुर स्थित उर्मिला देवी मेमोरियल सोसायटी के पाठशाला में वेदपाठ की शिक्षा ग्रहण करने वाली मुस्लिम बेटियों ने ये रक्षासूत्र सरहद की अंतिम सीमा पर चौबीस घंटे तैनात रहने वाले जांबाजों के लिए भेजी है। फातिमा ने बताया कि अब राखी का त्योहार आने वाली है तो मन में यह ख्याल आया कि वे भी अपने भाईयों की कलाई पर अपनी तरफ से राखी भेजना चाहती हैं।
मज़हब से मजबूत राखी का बंधन
कभी भिक्षाटन के दलदल में फंसी फातिमा ने अपनी ख्वाहिश संस्था की निदेशिका प्रतिभा सिंह को बताई। उसके बाद अफशा और रुखसार समेत उनके साथ पढ़ने वाली और बेटियों ने पांच सौ रक्षा सूत्र सरहद के जांबाजों के लिए तैयार की। उनका मकसद है कि रक्षाबंधन के दिन यह रक्षा सूत्र सरहद के शूरवीरों की कलाई पर सजे।
मुस्लिम बेटियां बताती है रक्षाबंधन के दिन सरहद पर तैनात फौजी भाइयों की कलाई सूनी नहीं रहे इसके लिए हमने भी रक्षा सूत्र तैयार करके भेजा है। क्योंकि देश की रक्षा करने के लिए फौजी भाई अपने घर परिवार से कोसों दूर सरहद पर तैनात हैं। इन बेटियों के जज्बे ने साफ जाहिर कर दिया कि ‘सारे जहां से अच्छा यह हिन्दुस्तान हमारा’। संस्था की निदेशिका प्रतिभा सिंह ने कहा कि इन बेटियों ने सीमा की सुरक्षा में तैनात जवानों के प्रति जो जज्बा दिखाया है वह अपने आप में अनूठा है।