अंशुल मौर्य
वाराणसी, 5 मार्च 2025:
इस वर्ष काशी में रंगभरी एकादशी के अवसर पर भक्तों को शिव-पार्वती की अनूठी छवि के दर्शन होंगे। बाबा विश्वनाथ और माता पार्वती 10 मार्च को होने वाली पालकी यात्रा के दौरान मिथिला संस्कृति की विशेष पहचान देवकिरीट धारण करेंगे।
मिथिलावासियों ने विशेष रूप से मंगवाया देवकिरीट
काशी में रहने वाले मिथिलावासियों ने इस विशेष देवकिरीट को मिथिला से बनवाकर मंगाया है। पूर्व महंत डॉ. कुलपति तिवारी के पुत्र, पंडित वाचस्पति तिवारी, ने बताया कि यह पहली बार होगा जब बाबा विश्वनाथ और माता गौरा काशी में मिथिला शैली का मुकुट धारण करेंगे। मैथिल सेवा समिति के अध्यक्ष कौशल किशोर मिश्र ने यह देवकिरीट शिवांजलि के संयोजक संजीव रत्न मिश्र को सौंपा।
बनारसी जरी और सुनहरी सज्जा से होगा श्रृंगार
इस देवकिरीट की साज-सज्जा का कार्य नारियल बाजार के व्यापारी नंदलाल अरोड़ा करेंगे, जिनका परिवार तीन पीढ़ियों से बाबा के मुकुटों को सजाने की परंपरा निभा रहा है।
हर वर्ष धारण किए जाते हैं अलग-अलग मुकुट
गौरतलब है कि बाबा विश्वनाथ और माता पार्वती को हर साल अलग-अलग शैलियों के मुकुट धारण कराए जाते हैं। पिछले वर्षों में बंगीय शैली के मुकुट सहित राजसी मुकुटों का श्रृंगार किया गया था। ये मुकुट प्राचीन भारत के विभिन्न कालखंडों के सनातनी शासकों द्वारा धारण किए जाने वाले मुकुटों का प्रतीक होते हैं।