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हिंदी दिवस पर पढ़े राष्ट्रकवि की कविताएं

आज हिंदी दिवस है, इस अवसर पर राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर की एक कविता हम पढ़ेंगे. रामधारी सिंह दिनकर हिंदी के प्रसिद्ध कवि हैं. ये दो दफा राज्यसभा सांसद भी रहे. इन्हें साहित्य अकादमी और ज्ञानपीठ पुरस्कार से नवाजा गया.

धनी दे रहे सकल सर्वस्व,

तुम्हें इतिहास दे रहा मान;

सहस्रों बलशाली शार्दूल

चरण पर चढ़ा रहे हैं प्राण।

दौड़ती हुई तुम्हारी ओर

जा रहीं नदियाँ विकल, अधीर;

करोड़ों आँखें पगली हुईं,

ध्यान में झलक उठी तस्वीर।

पटल जैसे-जैसे उठ रहा,

फैलता जाता है भूडोल।

हिमालय रजत-कोष ले खड़ा,

हिंद-सागर ले खड़ा प्रवाल,

देश के दरवाज़े पर रोज़

खड़ी होती ऊषा ले माल।

कि जाने तुम आओ किस रोज़

बजाते नूतन रुद्र-विषाण,

किरण के रथ पर हो आसीन

लिए मुट्ठी में स्वर्ण-विहान।

स्वर्ग जो हाथों को है दूर,

खेलता उससे भी मन लुब्ध।

धनी देते जिसको सर्वस्व,

चढ़ाते बली जिसे निज प्राण,

उसी का लेकर पावन नाम

क़लम बोती है अपने गान।

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