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भारत में पहली बार: मूक-बधिर दिव्यांग के लिए सांकेतिक भाषा में फ़िल्म

नई दिल्ली, 23 अगस्त

भारत सरकार के दिव्यांगजन सशक्तिकरण विभाग ने देश के पाँच PVR में श्रीकांत फ़िल्म रिलीज़ की

अनीता चौधरी
वरिष्ठ पत्रकार


भारत सरकार
के दिव्यांगजन सशक्तिकरण विभाग ने गुरुवार को दिल्ली के PVR, चाणक्यपुरी, में एक ऐतिहासिक पहल करते हुए श्रीकांत फ़िल्म की भारतीय सांकेतिक भाषा (ISL) में विशेष स्क्रीनिंग का आयोजन किया। इस अवसर पर दिल्ली-एनसीआर के बधिर समुदाय के बच्चे भी बड़ी संख्या में यह फ़िल्म देखने के लिए उपस्थित रहे। यह प्रयास मनोरंजन के क्षेत्र में दिव्यांग जनों की सुलभता और समावेशिता को बढ़ावा देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

इस अवसर पर दिव्यांगजन सशक्तिकरण विभाग के सचिव राजेश अग्रवाल ने भी बच्चों के साथ फ़िल्म देखी । श्री राजेश अग्रवाल ने ‘the Ho Halla ‘ से अपनी ख़ास बात चीत में कहा कि इस फ़िल्म का सांकेतिक भाषा में रिलीज़ होना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रयासों का नतीजा है । पीएम मोदी ने हमेशा भारतीय सांकेतिक भाषा (ISL) पर ज़ोर दिया है और इस दिशा में निरंतर कार्य किया जा रहा है। इस साल मार्च में सूचना और प्रसारण मंत्रालय द्वारा यह दिशा-निर्देश भी जारी किए गए थे कि भविष्य में बनने वाली फिल्मों में समावेशिता (Inclusivity) को प्राथमिकता दी जाएगी ।”

सचिव राजेश अग्रवाल ने आगे कहा, “मनोरंजन की सुलभता सभी के लिए होनी चाहिए, चाहे वह श्रवण बाधित समुदाय हो या अन्य दिव्यांगजन। श्रीकांत फ़िल्म एक प्रेरणादायक कहानी है, और इस प्रकार की फ़िल्में समाज में एक सशक्त संदेश देती हैं।”

दिव्यांगजन सशक्तिकरण विभाग के सचिव राजेश अग्रवाल ने ISL में श्रीकांत फ़िल्म की स्क्रीनिंग के आयोजन के लिए फ़िल्म के डायरेक्टर और उनकी पूरी टीम को भी धन्यवाद दिया । राजेश अग्रवाल ने भारतीय फिल्म उद्योग के सभी निर्माता-निर्देशकों को आमंत्रित किया कि वे आगे आयें और इस प्रयास में शामिल होंकर मनोरंजन की दुनिया को दिव्यांग फ्रेंडली बनाये और एक समावेशी समाज के निर्माण में सहयोग करें।

राजेश अग्रवाल ने फ़िल्म के निर्देशक और दिव्यांग बच्चों के साथ इस फ़िल्म को देख रहे फ़िल्म के डायरेक्टर तुषार हीराननंदानी ने भी The Ho Halla से बात करते हुए इस विशेष स्क्रीनिंग पर कहा कि “आज का दिन मेरे लिए बेहद महत्वपूर्ण है। मैं श्रीकांत फ़िल्म को ISL में प्रदर्शित करने का पूरा श्रेय भारत सरकार और विभाग को देता हूँ।”

फ़िल्म को सांकेतिक भाषा में परिवर्तित करने वाली संस्था ‘यूनिकी’ के मुख्य अधिकारी,श्री चैतन्य ने भारत सरकार का आभार व्यक्त करते कहा कि यह उनके लिए एक महत्वपूर्ण जिम्मेदारी थी और उन्हें ख़ुशी हो रही है कि स्क्रीनिंग पर बड़ी संख्या में भारत की पहली सांकेतिक भाषा की फ़िल्म श्रीकान्त को देखने के लिए बड़ी संख्या में बच्चे आये हैं ।

बता दें कि तुषार हीरानंदानी द्वारा निर्देशित फ़िल्म श्रीकान्त में एक्टर राजकुमार राव ने एक ऐसा किरदार निभाया है जिसकी आँखों में जन्म से ही रोशनी नहीं है । सच्ची घटना पर आधारित यह सामाजिक उपेक्षा ,तमाम चुनौती से सफलता तक की एक अंधे बच्चे की कहानी है । फ़िल्म ब्रेल भाषा में पहले ही बनी हुई है । अब इसे मूक- बधिर दिव्यांगनों के लिए सांकेतिक भाषा में बनाई गई है ।

The Ho Halla से बात करते हुए फ़िल्म देखने आये दिव्यांग बच्चों ने अपने अनुभव साझा किए और बताया कि मनोरंजन का यह अनुभव उनके लिए बेहद खास रहा । पहली बार सांकेतिक भाषा में फिल्म देखते हुए, बच्चों और दिव्यांगजनों के चेहरे पर खुशी की झलक साफ़ दिखाई दी। यह अनुभव उनके लिए न सिर्फ एक मनोरंजन का स्रोत था, बल्कि यह इस बात का प्रमाण भी था कि वे समाज के मुख्यधारा से अब मनोरंजन के माध्यम से भी जुड़ रहे हैं।

बच्चों ने सरकार के इस अद्भुत पहल की सराहना करते हुए कहा, “हम उम्मीद करते हैं कि भारत सरकार भविष्य में भी हमारे लिए ऐसे दिव्यांग-फ्रेंडली वातावरण का निर्माण करती रहे, ताकि हम भी जीवन के हर रंग और आनंद का हिस्सा बन सकें।”

फ़िल्म की स्क्रीनिंग के दौरान दिव्यांगजन सशक्तिकरण विभाग के वरिष्ठ अधिकारी, बधिर समुदाय से जुड़े बच्चे, और विभिन्न गैर-सरकारी संगठनों के प्रतिनिधि भी मौजूद रहे। इस आयोजन ने मूक और बाधित समुदाय के लिए मनोरंजन को सुलभ बनाने और समावेशी समाज के निर्माण की दिशा में एक मोदी सरकार की तरफ़ से एक सकारात्मक दिशा माना जा रहा है।

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