
बाराबंकी, 8 मई 2025:
यूपी की राजधानी से सटे बाराबंकी जिले के निजामपुर गांव में अशिक्षा का 75 साल पुराना वनवास खत्म कर हाईस्कूल पास करने वाला छात्र रामकेवल सम्मान पाकर निहाल है। राज्यमंत्री ने गांव जाकर चौपाल लगाई और सबके बीच पिता जगदीश और उनके होनहार बेटे रामकेवल को सम्मानित कर पढ़ाई में मदद करने का वादा किया।
निजामपुर में आजादी के बाद कोई न कर सका हाईस्कूल
बाराबंकी जिले की रामसनेहीघाट तहसील के बनीकोडर ब्लॉक में अहमदपुर टोल प्लाजा के पास निजामपुर गांव बसा है। यहां रहने वाले लोग उच्च शिक्षा से दूर ही रहे। कोई सातवीं कोई पांचवीं तक पढ़ सका। कृषि कार्य व अन्य पेशेगत मजबूरियों में साल दर साल बीतते गए लेकिन कोई हाईस्कूल पास नहीं कर सका। यहां गांव में प्राथमिक विद्यालय और 200 मीटर दूर माध्यमिक विद्यालय भी है लेकिन किसी ने कक्षा आठ के आगे सोचा ही नहीं।
मजदूरी कर खर्च निकाला और लगन से पढ़ाई कर रामकेवल ने किया हाईस्कूल
गांव में रहने वाले जगदीश रावत के मेहनतकश बेटे राम केवल ने इस असफलता का दाग मिटा दिया। जगदीश की पत्नी पुष्पा सरकारी स्कूल में रसोइया है। पांच संतानों की मां ने बेटे की पढ़ाई की ललक देखकर अपने कम मानदेय में भी पैसे जुटाए और राजकीय इंटर कालेज अहमदपुर में बेटे का एडमिशन करवाया। छात्र रामकेवल ने अपनी पढ़ाई के लिए जमकर मेहनत की। वो रात में शादियों में लाइट उठाता था तो दिन में मौरंग उतारने का कार्य करता था। उसमें शिक्षा परिषद की 2025 की बोर्ड परीक्षा में हाईस्कूल पास कर लिया। उसका नाम न मेरिट में था न वो टॉपर बना लेकिन अपनी मेहनत लगन का सुखद परिणाम जरूर हासिल कर लिया। उसकी सफलता पर परिवार और पूरा गांव खुश हो उठा।
राज्यमंत्री सतीश शर्मा पहुंचे गांव, चौपाल में सबके बीच छात्र व उसके पिता को किया सम्मानित
निजामपुर गांव विधानसभा दरियाबाद क्षेत्र में आता है। यहां से विधायक सतीश शर्मा प्रदेश सरकार के राज्यमंत्री हैं। उन्हें रामकेवल की सफलता की खबर मिली तो वो गांव पहुंचे और चौपाल लगाई। चौपाल से सरकारी अफसर संगठन के पदाधिकारी और तमाम ग्रामीणों की मौजूदगी में छात्र रामकेवल और पिता जगदीश को अंगवस्त्र सम्मानित किया। राज्यमंत्री ने छात्र के जज्बे को सराहा और पढाई में मदद करने का वादा किया। गत दो मई को डीएम शशांक त्रिपाठी ने रामकेवल उसके पिता जगदीश और मां को आफिस बुलाया। यहां डीएम ने माला पहनाकर छात्र का स्वागत किया। उसे उपहार देकर जज्बे को सराहा और एक स्मृति चिन्ह भी दिया।