
मुंबई, 14 अप्रैल, 2025
मुंबई में 2008 के आतंकवादी हमलों के प्रमुख आरोपी तहव्वुर राणा के खिलाफ भारत में मृत्युदंड की सजा तय हो सकती है। भारत और अमेरिका के बीच प्रत्यर्पण संधि के तहत, राणा के खिलाफ गंभीर आरोपों के लिए भारत में मुकदमा चलाया जाएगा, जिसमें युद्ध छेड़ने, हत्या और आतंकवाद शामिल हैं। यह घटनाक्रम इस दिशा में महत्वपूर्ण है कि राणा के मामले में प्रत्यर्पण संधि के दौरान मौत की सजा को बाहर नहीं रखा गया है, जिससे भारत में उसे मृत्युदंड दिए जाने का रास्ता खुल सकता है।
भारत सरकार ने अमेरिका को यह आश्वासन दिया है कि राणा को भारत में हिरासत में पूरी सुरक्षा दी जाएगी और उसे कोई प्रताड़ना नहीं दी जाएगी। इस दौरान मृत्युदंड को बाहर नहीं रखा गया है। विशेषज्ञों का कहना है कि राणा के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धाराओं के तहत मृत्युदंड की सजा का प्रावधान है। इन धाराओं में आईपीसी की धारा 120B, 121, 121A, 302, 468 और 471 शामिल हैं, साथ ही गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम और आतंकवाद विरोधी कानूनों के तहत भी आरोप दर्ज हैं।
वकील राकेश द्विवेदी और अन्य कानूनी विशेषज्ञों का मानना है कि प्रत्यर्पण एक न्यायिक प्रक्रिया है और इस दौरान हर पहलू का पालन करना जरूरी होता है। दोनों देशों में मृत्युदंड का प्रावधान होने के कारण, राणा के खिलाफ सजा सुनाए जाने में कोई बाधा नहीं है। इसके अलावा, अंतर्राष्ट्रीय कानून के तहत, भारत ने अमेरिका को यह सुनिश्चित किया है कि राणा को न्याय के मुताबिक सजा मिलेगी, और यह प्रक्रिया कानून के दायरे में होगी।