चंडीगढ़, 29 अगस्त
भारतीय जनता पार्टी दस साल से हरियाणा में सत्ता है। ज़ाहिर है, इतने वर्षों से पावर में रहने के बाद ‘एन्टी इंकम्बेंसी’ का खतरा स्वाभाविक होता है।
भाजपा ने हालांकि हरियाणा के विधानसभा चुनाव में मजबूती के साथ उतरने की तैयारी कर ली है। एक दशक तक सत्ता में रहने के बाद इस बार भी पार्टी के सामने अपना किला बचा कर एक बार फिर सत्ता पर काबिज़ होने की बड़ी चुनौती होगी। वैसे भी किसी भी दल के लिए 10 साल की एंटी इंकम्बेंसी से पार खासा मुश्किल काम होता है।
पार्टी के अंदरूनी सूत्रों के अनुसार भाजपा ने इसके लिए ‘काट-छांट’ प्लान की रणनीति तैयार कर ली है। इसके कारण पार्टी आश्वस्त है कि यह कारगर सिद्ध होगा।
दरअसल, हरियाणा में कुल 90 विधानसभा सीटें हैं। भाजपा ने 2019 के विधानसभा चुनाव में 40 सीटों पर जीत दर्ज की थी। सरकार में लेकिन इस बार पार्टी एंटी इंकम्बेंसी से निपटने के लिए 20 विधायकों के टिकटों पर कैंची चला सकती है।
पार्टी कई दिग्गजों को भी किनारा कर सकती है और जो नेता दूसरे दलों से आए हैं, उन्हें तरजीह दी जा सकती है। इससे पार्टी ‘एंटी इंकम्बेंसी’ को दूर करने कि दिशा में कदम बढ़ा सकती है।
ज्ञातव्य है कि हरियाणा में नयी विधान सभा के लिए अगली एक अक्टूबर को मतदान होना है।