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मणिपुर : लगातार होती हिंसा से संकट में बीरेन सरकार, NPP ने वापिस लिया समर्थन

मणिपुर : 20 नबंवर 2024

मणिपुर में लगातार हो रही हिंसा अब राज्य की सरकार के लिए खतरा बनते जा रही है इस हिंसा की आग में अब एन बीरेन सिंह की अगुवाई वाली बीजेपी सरकार झुलसती नजर आ रही है। मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह की कुर्सी खतरे में नजर आ रही है। राज्य की स्थिति का आंकलन करने के लिए सीएम बीरेन सिंह की अध्यक्षता में सोमवार को बुलाई गई अहम बैठक में 37 में से 19 बीजेपी विधायक नहीं शामिल हुए। मैतेई समाज से आने वाले एक कैबिनेट मंत्री भी बैठक में शिरकत नहीं किए। ऐसे में सवाल उठने लगा है कि क्या मणिपुर में बीजेपी दो धड़ों में बंट गई है?

मणिपुर में कुकी और मैतेई समुदाय के बीच जातीय संघर्ष के चलते ही सीएम बीरेन सिंह पहले से बैकफुट पर हैं। राज्य की स्थिति का आंकलन करने के लिए मुख्यमंत्री कार्यालय की ओर से बीजेपी और एनडीए में उसके सहयोगी दलों के सभी मंत्रियों व विधायकों को बैठक का निमंत्रण भेजा गया था। बावजूद इसके बीजेपी के 19 विधायक बैठक में शामिल नहीं हुए। जिसमें कुकी और मैतेई दोनों ही समुदाय के विधायक शामिल हैं। इसके बाद सीएम बीरेन सिंह की सियासी टेंशन बढ़ गई है, क्योंकि एनपीपी ने पहले ही बीरेन सरकार से समर्थन खींच लिया है।

किसके राजनीतिक दल के पास है कितनी सीट?

मणिपुर के 60 सदस्यीय विधानसभा में 37 विधायक बीजेपी के, सात एनपीपी के, पांच एनपीएफ के, एक जेडी(यू) के और तीन निर्दलीय विधायक हैं। इसके अलावा कांग्रेस के पांच और कुकी पीपुल्स अलायंस के 2 विधायक हैं। एनपीपी अध्यक्ष और मेघालय के सीएम कोनराड संगमा ने बीरेन सरकार से अपना समर्थन वापस ले लिया है। उन्होंने कहा था कि उनकी पार्टी अब सीएम बीरेन सिंह पर भरोसा नहीं रखती है और नेतृत्व में बदलाव होने पर अपने फैसले पर पुनर्विचार करेगी। इसके बाद अब 19 विधायक सीएम की बैठक से शिरकत नहीं करना एक बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है।

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