
वाराणसी,8 फरवरी 2025
जूना अखाड़ा, जो आदि गुरु शंकराचार्य द्वारा स्थापित प्रमुख शैव संप्रदायों में से एक है, अपने अनूठे लोकतांत्रिक प्रणाली के लिए जाना जाता है। देशभर में इसकी कई शाखाएं हैं, जिनमें वाराणसी, जूनागढ़, उज्जैन, नासिक, अमरकंटक और ओंकारेश्वर प्रमुख हैं। अखाड़े के संचालन के लिए हर छह साल में चुनाव होते हैं, जिसमें प्रधान (अध्यक्ष) और अन्य पदाधिकारियों का चयन किया जाता है। चुनाव प्रक्रिया में 52 मढ़ियों के प्रतिनिधि अपने मताधिकार का प्रयोग करते हैं। इसके अलावा, अखाड़े की 17 सदस्यीय गवर्निंग बॉडी प्रशासनिक फैसले लेती है।
इस बार महाकुंभ के समापन के बाद वाराणसी के हनुमान घाट स्थित मुख्यालय में नए प्रधान और गवर्निंग बॉडी के चुनाव होंगे, जिस पर साधु-संतों की निगाहें टिकी हैं। चुने गए संतों का पट्टाभिषेक भी यहीं होगा। अखाड़े के नियमों का पालन सुनिश्चित करने के लिए 17 सदस्यीय कोर्ट भी गठित होती है, जिसमें सबसे बड़ा पद सभापति का होता है। यह कोर्ट अखाड़े या समाज विरोधी गतिविधियों की सुनवाई कर सजा भी सुना सकती है।






