लखनऊ,25 जनवरी 2025
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने एक याचिका को खारिज करते हुए स्पष्ट किया कि धार्मिक स्थल मुख्यतः ईश्वर की पूजा-अर्चना के लिए होते हैं, और लाउडस्पीकर का इस्तेमाल इसका हिस्सा नहीं है। याचिका में पीलीभीत के मुख्तियार अहमद ने राज्य के प्राधिकारियों को मस्जिद में लाउडस्पीकर लगाने की अनुमति देने का निर्देश देने की मांग की थी, लेकिन कोर्ट ने इसे खारिज करते हुए कहा कि लाउडस्पीकर का उपयोग अधिकार नहीं माना जा सकता, खासकर जब यह स्थानीय निवासियों के लिए परेशानी का कारण बने।
कोर्ट ने यह भी टिप्पणी की कि याचिकाकर्ता के पास रिट याचिका दायर करने का अधिकार नहीं था, क्योंकि वह न तो मुतवल्ली था और न ही मस्जिद का मालिक। राज्य की आपत्ति को सही मानते हुए न्यायालय ने यह भी कहा कि धार्मिक स्थल पूजा-अर्चना के लिए होते हैं, और इसलिए वहां लाउडस्पीकर के प्रयोग को अधिकार नहीं माना जा सकता। मई 2022 में, हाई कोर्ट ने यह भी कहा था कि मस्जिदों से लाउडस्पीकर बजाना अब मौलिक अधिकार नहीं है।