देवोत्थानी एकादशी : गंगा में लगाई आस्था की डुबकी… दान कर पुण्य कमाया

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अंशुल मौर्य

वाराणसी, 12 नवंबर 2024:

कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को देवउठनी एकादशी के रूप में मनाया जाता है। इस पर्व को देशभर में देवोत्थानी एकादशी, हरि प्रबोधनी एकादशी सहित अन्य नामों से जाना जाता है। महादेव की नगरी काशी में देवउठनी एकादशी के अवसर पर श्रद्धालुओं ने गंगा में पवित्र स्नान किया और दान की परंपरा निभाई। दशाश्वमेध घाट, राजेंद्र प्रसाद घाट, अस्सी घाट सहित विभिन्न घाटों पर श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ी।

गंगा में पवित्र स्नान के बाद श्रद्धालुओं ने आचमन कर ब्राह्मणों व भिक्षुकों में चावल, दाल सहित अन्य वस्तुओं का दान किया और पुण्य कमाया। शास्त्रों में वर्णित एवं मान्यताओं के अनुसार भगवान श्री हरि विष्णु आषाढ़ महीने के शुक्ल पक्ष की एकादशी वाले दिन क्षीर सागर में निद्रा के लिए जाते हैं। जहां वह चार मास विश्राम करते हैं। इन चार महीनों में हिंदू धर्म के अनुसार मांगलिक कार्य वर्जित रहते हैं।

इसके पश्चात कार्तिक महीने में शुक्ल पक्ष की एकादशी वाले दिन भगवान श्री हरि विष्णु अपनी निद्रा से जागते हैं। मंदिरों में भगवान विष्णु की विशेष पूजा-अर्चना कर शंख ध्वनि द्वारा उन्हें जगाया जाता है। इसके साथ ही शालिग्राम एवं माता तुलसी की पूजा की जाती है।

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