जौनपुर, 7 अक्टूबर 2024:
उत्तर प्रदेश के जौनपुर में जफराबाद के पूर्व भाजपा विधायक डॉ. हरेंद्र सिंह और ठेकेदार दिलीप तिवारी के खिलाफ एसीजेएम (एमपी/एमएलए) कोर्ट ने एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिया है। यह आदेश 1857 के स्वतंत्रता संग्राम सेनानी राजा संग्राम सिंह के कीर्ति स्तंभ में तोड़फोड़ और शिलापट से ढककर सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाने के मामले में आया है। मामले की शिकायत राजा संग्राम सिंह के पुत्र और पूर्व जिला जज राजेंद्र सिंह द्वारा की गई थी।
मामले का संक्षिप्त विवरण:
यह विवाद राजा संग्राम सिंह के नेवढ़िया कोट स्थित स्मारक से जुड़ा है, जो 1857 के स्वतंत्रता संग्राम के वीर सेनानी रहे राजा संग्राम सिंह की स्मृति में बनाया गया था। यह कीर्ति स्तंभ उनके शौर्य और बलिदान की याद में खड़ा किया गया था और इसे जनहित के कार्यों के लिए संरक्षित रखा गया था। पूर्व जिला जज और राजा संग्राम सिंह जनकल्याण संस्थान के अध्यक्ष, राजेंद्र सिंह, जो राजा संग्राम सिंह के पुत्र हैं, ने इस मामले में अदालत का दरवाजा खटखटाया था।
उन्होंने अपने प्रार्थना पत्र में यह आरोप लगाया कि 28 जनवरी 2022 को, जब वे ग्राम दलपतपुर, नेवढ़िया आए, तो उन्होंने देखा कि बिना किसी पूर्व अनुमति या सूचना के, पूर्व विधायक डॉ. हरेंद्र सिंह और ठेकेदार दिलीप तिवारी ने कीर्ति स्तंभ में तोड़फोड़ की थी। उन्होंने आरोप लगाया कि कीर्ति स्तंभ के मूल स्वरूप को बदलते हुए उसे ग्रेनाइट पत्थरों से ढक दिया गया, और राजा संग्राम सिंह के नाम का शिलालेख भी हटा दिया गया था। इस कार्य से स्मारक और उसकी ऐतिहासिक महत्ता को नुकसान पहुंचा, जो कि सरकारी संपत्ति की श्रेणी में आता है।
शिकायत और कोर्ट की कार्यवाही:
राजेंद्र सिंह ने अपने प्रार्थना पत्र में यह भी उल्लेख किया कि इस मामले को मुख्यमंत्री तक गलत जानकारी देकर अंजाम दिया गया। उनकी ओर से शिकायत दर्ज करने के बावजूद, स्थानीय प्रशासन और उच्चाधिकारियों द्वारा कोई कार्रवाई नहीं की गई। पहले भी राजेंद्र सिंह द्वारा दाखिल की गई शिकायत को खारिज कर दिया गया था, जिसके बाद उन्होंने जिला जज के समक्ष निगरानी याचिका दायर की थी।
निगरानी याचिका के आदेश के बाद, एसीजेएम (एमपी/एमएलए) कोर्ट ने मामले की गंभीरता को प्रथम दृष्टया सही पाते हुए, नेवढ़िया थाना प्रभारी को डॉ. हरेंद्र सिंह और दिलीप तिवारी के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने का निर्देश दिया। कोर्ट ने थानाध्यक्ष को यह आदेश दिया कि एफआईआर दर्ज कर उसकी कॉपी तीन दिन के भीतर न्यायालय में प्रस्तुत की जाए। इसके साथ ही, कोर्ट ने पुलिस अधीक्षक को भी आदेश की एक प्रति भेजने का निर्देश दिया, ताकि मामले की निष्पक्ष जांच सुनिश्चित हो सके।
राजा संग्राम सिंह जनकल्याण ट्रस्ट की पृष्ठभूमि:
राजा संग्राम सिंह का परिवार जिले में एक प्रतिष्ठित परिवार रहा है। उनके पुत्र, वादी राजेंद्र सिंह, इस ट्रस्ट के वर्तमान पदेन अध्यक्ष हैं। उनके पिता हरि मूर्ति सिंह, जो एक सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी और पूर्वांचल विश्वविद्यालय के पहले कुलपति थे, ने अपने भाइयों और ग्राम दलपतपुर के कुछ अन्य सम्मानित लोगों के साथ मिलकर 1994 में इस ट्रस्ट की स्थापना की थी। इस ट्रस्ट का उद्देश्य जनकल्याणकारी योजनाओं और विकास कार्यों को बढ़ावा देना था।
राजा संग्राम सिंह की स्मृति में बनाए गए इस कीर्ति स्तंभ और अन्य स्मारक संरचनाओं का महत्व न केवल जिले में, बल्कि प्रदेश और देश भर में मान्य था। लोग इस संस्थान से लाभान्वित होते रहे, और यह ट्रस्ट लंबे समय से सुचारू रूप से चल रहा था। इस स्मारक की सुरक्षा और संरक्षण राजा संग्राम सिंह के इतिहास और देश की आजादी के संघर्ष में उनके योगदान की अमूल्य धरोहर के रूप में मानी जाती है।
यह मामला एक ऐतिहासिक धरोहर की सुरक्षा और उसके संरक्षण से जुड़ा है, जिसे लेकर अदालत ने गंभीरता दिखाई है। वादी ने कोर्ट के समक्ष यह दावा किया है कि आरोपी पूर्व विधायक और ठेकेदार ने जानबूझकर स्मारक को नुकसान पहुंचाया है, जिससे न केवल एक ऐतिहासिक स्थल की महत्ता कम हुई है, बल्कि सरकारी संपत्ति का भी नुकसान हुआ है। कोर्ट के आदेश के बाद अब यह देखना होगा कि पुलिस और प्रशासन इस मामले में क्या कदम उठाते हैं और किस प्रकार से न्यायिक प्रक्रिया आगे बढ़ती है।
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जौनपुर, 7 अक्टूबर 2024:उत्तर प्रदेश के जौनपुर में जफराबाद के पूर्व भाजपा विधायक डॉ. हरेंद्र सिंह और ठेकेदार दिलीप तिवारी के खिलाफ एसीजेएम (एमपी/एमएलए) कोर्ट ने एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिया है। यह आदेश 1857 के स्वतंत्रता संग्राम सेनानी राजा संग्राम सिंह के कीर्ति स्तंभ में तोड़फोड़ और शिलापट से ढककर सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाने के मामले में आया है। मामले की शिकायत राजा संग्राम सिंह के पुत्र और पूर्व जिला जज राजेंद्र सिंह द्वारा की गई थी।मामले का संक्षिप्त विवरण:यह विवाद राजा संग्राम सिंह के नेवढ़िया कोट स्थित स्मारक से जुड़ा है, जो 1857 के स्वतंत्रता संग्राम के वीर सेनानी रहे राजा संग्राम सिंह की स्मृति में बनाया गया था। यह कीर्ति स्तंभ उनके शौर्य और बलिदान की याद में खड़ा किया गया था और इसे जनहित के कार्यों के लिए संरक्षित रखा गया था। पूर्व जिला जज और राजा संग्राम सिंह जनकल्याण संस्थान के अध्यक्ष, राजेंद्र सिंह, जो राजा संग्राम सिंह के पुत्र हैं, ने इस मामले में अदालत का दरवाजा खटखटाया था।उन्होंने अपने प्रार्थना पत्र में यह आरोप लगाया कि 28 जनवरी 2022 को, जब वे ग्राम दलपतपुर, नेवढ़िया आए, तो उन्होंने देखा कि बिना किसी पूर्व अनुमति या सूचना के, पूर्व विधायक डॉ. हरेंद्र सिंह और ठेकेदार दिलीप तिवारी ने कीर्ति स्तंभ में तोड़फोड़ की थी। उन्होंने आरोप लगाया कि कीर्ति स्तंभ के मूल स्वरूप को बदलते हुए उसे ग्रेनाइट पत्थरों से ढक दिया गया, और राजा संग्राम सिंह के नाम का शिलालेख भी हटा दिया गया था। इस कार्य से स्मारक और उसकी ऐतिहासिक महत्ता को नुकसान पहुंचा, जो कि सरकारी संपत्ति की श्रेणी में आता है।शिकायत और कोर्ट की कार्यवाही:राजेंद्र सिंह ने अपने प्रार्थना पत्र में यह भी उल्लेख किया कि इस मामले को मुख्यमंत्री तक गलत जानकारी देकर अंजाम दिया गया। उनकी ओर से शिकायत दर्ज करने के बावजूद, स्थानीय प्रशासन और उच्चाधिकारियों द्वारा कोई कार्रवाई नहीं की गई। पहले भी राजेंद्र सिंह द्वारा दाखिल की गई शिकायत को खारिज कर दिया गया था, जिसके बाद उन्होंने जिला जज के समक्ष निगरानी याचिका दायर की थी।निगरानी याचिका के आदेश के बाद, एसीजेएम (एमपी/एमएलए) कोर्ट ने मामले की गंभीरता को प्रथम दृष्टया सही पाते हुए, नेवढ़िया थाना प्रभारी को डॉ. हरेंद्र सिंह और दिलीप तिवारी के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने का निर्देश दिया। कोर्ट ने थानाध्यक्ष को यह आदेश दिया कि एफआईआर दर्ज कर उसकी कॉपी तीन दिन के भीतर न्यायालय में प्रस्तुत की जाए। इसके साथ ही, कोर्ट ने पुलिस अधीक्षक को भी आदेश की एक प्रति भेजने का निर्देश दिया, ताकि मामले की निष्पक्ष जांच सुनिश्चित हो सके।राजा संग्राम सिंह जनकल्याण ट्रस्ट की पृष्ठभूमि:राजा संग्राम सिंह का परिवार जिले में एक प्रतिष्ठित परिवार रहा है। उनके पुत्र, वादी राजेंद्र सिंह, इस ट्रस्ट के वर्तमान पदेन अध्यक्ष हैं। उनके पिता हरि मूर्ति सिंह, जो एक सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी और पूर्वांचल विश्वविद्यालय के पहले कुलपति थे, ने अपने भाइयों और ग्राम दलपतपुर के कुछ अन्य सम्मानित लोगों के साथ मिलकर 1994 में इस ट्रस्ट की स्थापना की थी। इस ट्रस्ट का उद्देश्य जनकल्याणकारी योजनाओं और विकास कार्यों को बढ़ावा देना था।राजा संग्राम सिंह की स्मृति में बनाए गए इस कीर्ति स्तंभ और अन्य स्मारक संरचनाओं का महत्व न केवल जिले में, बल्कि प्रदेश और देश भर में मान्य था। लोग इस संस्थान से लाभान्वित होते रहे, और यह ट्रस्ट लंबे समय से सुचारू रूप से चल रहा था। इस स्मारक की सुरक्षा और संरक्षण राजा संग्राम सिंह के इतिहास और देश की आजादी के संघर्ष में उनके योगदान की अमूल्य धरोहर के रूप में मानी जाती है।यह मामला एक ऐतिहासिक धरोहर की सुरक्षा और उसके संरक्षण से जुड़ा है, जिसे लेकर अदालत ने गंभीरता दिखाई है। वादी ने कोर्ट के समक्ष यह दावा किया है कि आरोपी पूर्व विधायक और ठेकेदार ने जानबूझकर स्मारक को नुकसान पहुंचाया है, जिससे न केवल एक ऐतिहासिक स्थल की महत्ता कम हुई है, बल्कि सरकारी संपत्ति का भी नुकसान हुआ है। कोर्ट के आदेश के बाद अब यह देखना होगा कि पुलिस और प्रशासन इस मामले में क्या कदम उठाते हैं और किस प्रकार से न्यायिक प्रक्रिया आगे बढ़ती है।