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हनुमानगढ़ी : 288 वर्ष बाद गद्दीनशीन महंत पहली बार निकले बाहर… करेंगे रामलला के दर्शन

TheHoHallaTeam
Last updated: April 30, 2025 12:14 pm
TheHoHallaTeam 5 months ago
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अयोध्या, 30 अप्रैल 2025:

अयोध्या के प्रसिद्ध हनुमानगढ़ी मंदिर की 288 साल पुरानी परंपरा बुधवार को इतिहास बन गई। मंदिर के गद्दीनशीन महंत प्रेमदास पहली बार हनुमानगढ़ी से बाहर निकले और राजसी शोभायात्रा के साथ सरयू तट पहुंचे। इस ऐतिहासिक अवसर पर हाथी-घोड़े, बैंड-बाजे, शंखनाद और पुष्पवर्षा के बीच उन्हें हनुमान जी के प्रतिनिधि रूप में मंदिर से सरयू तट तक ले जाया गया।

राजसी शोभायात्रा में सरयू तट पहुंच किया स्नान

सुबह 7:50 बजे महंत प्रेमदास भव्य रथ पर सवार होकर शोभायात्रा में रवाना हुए। उनके साथ हजारों साधु-संतों का कारवां भी शामिल था। शोभायात्रा के दौरान रास्तेभर श्रद्धालुओं ने जगह-जगह फूल बरसाए। नगर विधायक वेद प्रकाश गुप्ता और स्थानीय व्यापारियों ने उनका भव्य स्वागत किया। लगभग 40 स्थानों पर शोभायात्रा पर पुष्पवर्षा की गई।

सरयू तट पहुंचने के बाद महंत प्रेमदास ने अपने शिष्यों संग स्नान किया और फरसा लहराकर “हनुमान जी की जय” और “जय श्रीराम” के नारों के साथ आस्था का प्रदर्शन किया। इसके बाद वे रामलला के दर्शन के लिए प्रस्थान कर गए।

महंत प्रेमदास ने परंपरा तोड़ने की वजह बताते हुए कहा, “मेरे सपने में हनुमान जी आए थे और उन्होंने रामलला के दर्शन का आदेश दिया। इसके बाद 21 अप्रैल को अखाड़े के सभी सदस्यों की बैठक बुलाकर यह ऐतिहासिक निर्णय लिया गया।” गौरतलब है कि महंत प्रेमदास वर्ष 2016 में हनुमानगढ़ी के 22वें गद्दीनशीन संत बने थे।

सदियों पुरानी है ये परंपरा

हनुमानगढ़ी मंदिर की स्थापना 1737 में हुई थी और तभी से परंपरा रही कि गद्दीनशीन महंत मंदिर परिसर (52 बीघा) से बाहर नहीं निकलते। वर्ष 1925 में बनाए गए मंदिर संविधान में यह नियम स्पष्ट रूप से दर्ज है। यहां तक कि उन्हें अदालतों में पेश होने की भी अनुमति नहीं होती थी। 1980 के दशक में कोर्ट की कार्यवाही भी मंदिर परिसर में ही होती थी।

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