हिमांगी सखी को महामंडलेश्वर की उपाधि देने पर नाराज शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद, भाजपा पर भी साधा निशाना

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अंशुल मौर्य

वाराणसी, 5 जनवरी 2025 :

यूपी के वाराणसी पहुंचे ज्योतिषपीठ के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने किन्नर हिमांगी सखी को महामंडलेश्वर की उपाधि दिए जाने पर रविवार को नाराजगी व्यक्त की है। उन्होंने कहा कि अगर हिमांगी सखी को इतनी महत्वपूर्ण उपाधि देने की बात है तो उन्हें भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष या राष्ट्रपति के पद पर बैठना चाहिए।

सशक्तीकरण के लिए अन्य उच्च पदों पर हो सकता विचार

स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने कहा कि शंकराचार्य बनने के लिए पुरुष होना अनिवार्य है। यह पद दंडी संन्यासी के लिए आरक्षित है। महिलाएं या अन्य लिंग के लोग इस पद पर नहीं बैठ सकते। उन्होंने यह भी कहा कि प्रोत्साहन और सशक्तीकरण के लिए अन्य उच्च पदों पर विचार किया जा सकता है, जैसे कि राष्ट्रपति, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रमुख, या भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष।

‘कुंभ में आमंत्रण पत्र देने की कोई परंपरा नहीं रही’

कुंभ के आमंत्रण पत्र पर विपक्ष द्वारा उठाए गए सवालों पर शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने कहा कि कुंभ में आमंत्रण पत्र देने की कोई परंपरा नहीं रही है। लोग स्वयं कुंभ में स्नान करने आते हैं। गंगा मां की पूजा-अर्चना करना हमारी परंपरा है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने विशेष रूप से कार्य किए हैं। वे चाहते हैं कि लोग इन कार्यों को देखें और उनकी सराहना करें। अगर वे लोगों को आमंत्रित कर रहे हैं तो इसमें कोई खराबी नहीं है।

गाय की हत्या एक गंभीर मुद्दा

अविमुक्तेश्वरानंद ने कुंभ को सनातन धर्मियों का सबसे बड़ा जमावड़ा बताया है। उन्होंने कहा कि यहां से सनातन धर्म का सबसे बड़ा संदेश जाना चाहिए, जो है गोरक्षा। उनके अनुसार हिंदू की सबसे बड़ी पहचान गोत्र से होती है और समाज में हिंदू जहां भी रहता है, गाय की पूजा करता है। भारत में हिंदू बहुसंख्यक हैं लेकिन गाय की हत्या की जा रही है। यह एक गंभीर मुद्दा है जिस पर ध्यान देने की आवश्यकता है।

‘किसी व्यक्ति का नाम लेकर तंज कसना व्यक्तिगत हमला’

अविमुक्तेश्वरानंद ने कवि कुमार विश्वास द्वारा सैफ अली खान और करीना कपूर के बेटे तैमूर के नाम पर तंज कसने पर कहा कि सिद्धांतों की चर्चा करने में कोई हर्ज नहीं है, लेकिन किसी व्यक्ति का नाम लेकर तंज कसना व्यक्तिगत हमला है। उन्होंने कहा कि हम ऐसे नाम नहीं रखते जो दूसरों को दुख पहुंचाते हैं। हम रावण को अत्याचारी मानते हैं, इसलिए हम अपने घर में किसी का नाम रावण नहीं रखते। इसी तरह तैमूर का नाम भी इतिहास में एक अत्याचारी के रूप में जाना जाता है, इसलिए ऐसा नाम रखना उचित नहीं है। उन्होंने पूछा कि क्या ऐसा नाम रखना उचित है जिससे दूसरों को दुख होता हो?

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